रायपुर। छत्तीसगढ़ वन सेवा परीक्षा में असफल अभ्यर्थियों को शारीरिक परीक्षा का दोबारा मौका देने का मामला युवा BJP विधायक सुशांत शुक्ला प्रश्नकाल में उठाया। इस मुद्दे पर वनमंत्री केदार कश्यप ने विभाग की ओर से जो जवाब दिया वह संतोषजनक नहीं था, जिसके चलते इस मुद्दे को विधायक शुक्ला ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाने की बात कही है।

PSC के जरिये हुई है भर्ती परीक्षा

दरअसल सन् 2020 में वन विभाग के विभिन्न पदों के लिए छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने लिखित परीक्षा ली थी। इसके बाद की प्रक्रिया वन विभाग ने शुरू की। पीएससी ने 3 जून 2023 को परीक्षा परिणाम जारी किया। चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज का परीक्षण करने के बाद शारीरिक दक्षता की परीक्षा 12 सितंबर को ली गई। इसमें 4 घंटे के भीतर 26 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी थी। इस प्रक्रिया में 20 अभ्यर्थी विफल रहे। इसके बाद प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थियों को चयन के लिए अवसर दिया जाना था लेकिन वन विभाग ने शारीरिक परीक्षा में विफल अभ्यर्थियों को फिर से मौका देने का निर्णय लिया। इस बात की जानकारी मिलने पर पूरक सूची में शामिल अभ्यर्थियों ने अधिकारियों के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई, पर उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह मामला काफी परवान चढ़ा और आखिरकार प्रभावितों ने हाई कोर्ट की शरण ली है।

विधायक सुशांत शुक्ला ने उठाया सवाल…

इस मुद्दे पर भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला ने सवाल पूछा कि क्या वन मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ वन सेवा (संयुक्त) परीक्षा, 2020 में चयनित कितने अभ्यर्थियों की सूची विभाग को प्रदान की गई तथा कितने अभ्यर्थियों को प्रतीक्षा सूची में रखा गया? जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश “क” के चयनित अभ्यर्थियों में से कितने अभ्यर्थी शारीरिक क्षमता परीक्षण में सम्मिलित हुए तथा उनमें कितने असफल रहे ? असफल अभ्यर्थियों के नाम सहित जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) क्या विभागीय भर्ती नियम में शारीरिक क्षमता परीक्षण में असफल अभ्यर्थियों को दुबारा अवसर देने का प्रावधान है ? यदि हां तो नियम की प्रति उपलब्ध करावें। यदि नहीं तो क्या असफल अभ्यर्थियों को नियम विरुद्ध दूसरा अवसर दिया गया अथवा देने हेतु प्रक्रिया अपनाई जा रही है ? (घ) क्या प्रश्नांश ‘ग’ की प्रक्रिया हेतु सामान्य प्रशासन विभाग से अभिमत लिया गया ? यदि हो तो अभिमत क्या था? अभिमत की प्रति उपलब्ध करावें । (ङ) क्या सामान्य प्रशासन से प्राप्त अभिमत अनुसार असफल रहे अभ्यर्थियों हेतु दुबारा शारीरिक क्षमता परीक्षण आयोजित की जा रही है ? यदि हां तो किसकी अनुमति एवं अनुमोदन से? ? विस्तृत ब्यौरा प्रदान करें।

वनमंत्री ने दिया ये जवाब

वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि PSC के माध्यम से छ.ग. वन सेवा (संयुक्त) परीक्षा, 2020 अंतर्गत सहायक वन संरक्षक एवं वनक्षेत्रपाल के विज्ञापित कुल 211 पदों के विरूद्ध अंतिम चयन परिणाम के मुख्य सूची में सहायक वन संरक्षक के पद पर 34 एवं वनक्षेत्रपाल के पद पर 177, कुल 211 अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई है तथा सहायक वन संरक्षक के पद हेतु 15 अभ्यर्थी एवं वनक्षेत्रपाल के पद हेतु 77 अभ्यर्थी को अनुपूरक सूची में प्रेषित की गई।

फिजिकल टेस्ट में 27 परीक्षार्थी रहे असफल

वनमंत्री ने बताया कि चयनित अभ्यर्थियों में से सहायक वन संरक्षक पद हेतु कुल 34 एवं वनक्षेत्रपाल पद हेतु कुल 158 अभ्यर्थी शारीरिक क्षमता परीक्षण (पैदल चाल) में सम्मिलित हुए, उनमें से सहायक वन संरक्षक पद हेतु 03 एवं वनक्षेत्रपाल पद हेतु 24, कुल 27 अभ्यर्थी असफल रहे। असफल अभ्यर्थियों के नाम सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र-ब’अनुसार है।

परीक्षण में असफल अभ्यर्थी को दोबारा मौके का प्रावधान नहीं

छ.ग. (वन) राजपत्रित सेवा भर्ती नियम् 2015 के कंडिका क्रमांक 11(11) में शारीरिक मापदण्ड हेतु नियम प्रावधानित है, जिसमें शारीरिक क्षमता परीक्षण में असफल अभ्यर्थियों को दुबारा अवसर देने अथवा नहीं देने के संबंध में कोई उल्लेख नहीं है। पैदल चाल में सम्मिलित सभी अभ्यर्थी छ.ग. लोक सेवा आयोग के माध्यम से आयोजित प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण कर चयनित हुए है। चूंकि पैदल चाल परीक्षण कोई प्रतियोगिता (competition) नहीं है, अपितु अर्हकारी (Qualifying) परीक्षण है। अतः छ.ग. वन (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम 2015 के नियम 21 (शिथिलीकरण)- “इन नियमों में दी गई किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जायेगा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के मामले में जिस पर ये नियम लागू होते है, ऐसी रीति से कार्यवाही करने की राज्यपाल की शक्ति को, जो उसे न्यायसंगत एवं उचित प्रतीत हो, सीमित या कम करती है।” के अनुसार ही उपरोक्त कुल 27 असफल अभ्यर्थियों को पुनः एक अवसर प्रदान किये जाने हेतु विभाग द्वारा प्रक्रिया अपनाई जा रही है। छ.ग. (वन) राजपत्रित सेवा भर्ती नियम, 2015 की प्रति पुस्तकालय में रखे प्रपत्र ‘स’ अनुसार है।

नियम नहीं, फिर भी विभाग ने दी अनुमति

वनमंत्री ने बताया कि इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) से अभिमत लिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा अभिमत दिया गया कि प्रकरण वांछित अभिमत/ मार्गदर्शन के संबंध में लेख है कि प्रशासकीय विभाग के भर्ती नियमों में शारीरिक दक्षता (पैदल चाल) हेतु अवसर प्रदान किये जाने का प्रावधान नहीं होने के कारण सामान्य प्रशासन विभाग का कोई अभिमत नहीं है। अभिमत की प्रति पुस्तकालय में रखे प्रपत्र- द’ अनुसार है। सामान्य प्रशासन विभाग से प्राप्त अभिमत अनुसार असफल रहे अभ्यधियों हेतु दुबारा शारीरिक क्षमता परीक्षण आयोजित नहीं की जा रही है। अपितु प्रशासकीय विभाग द्वारा प्रकरण के विचारोपरांत अपात्र अभ्यर्थियों को पुनः पैदल चाल हेतु अवसर दिये जाने की अनुमति प्रदान की गई है। जो कि वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है।

हाई कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर दिया है स्टे

दरअसल इस मामले में बस्तर के योगेश बघेल सहित 6 अन्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट मे याचिका दायर की है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वन सेवा भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की बेंच ने आगे की प्रक्रिया रोकते हुए शासन को जवाब दाखिल करने को कहा है।

वन विभाग की इस भर्ती प्रक्रिया में शारीरिक परीक्षा में विफल अभ्यर्थियों के स्थान पर प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थियों को चयन के लिए अवसर दिया जाना था, लेकिन वन विभाग ने शारीरिक परीक्षा में विफल अभ्यर्थियों को फिर से मौका देने का निर्णय लिया। इस बात की जानकारी मिलने पर पूरक सूची में शामिल अभ्यर्थियों ने अधिकारियों के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई, मगर उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अभ्यर्थियों के अनुसार नियमों में यह स्पष्ट उल्लेख है कि शारीरिक परीक्षा में असफल होने पर अभ्यर्थियों को दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा लेकिन कुछ विशेष उम्मीदवारों को लाभ देने के लिए नियम के विरुद्ध अवसर दिया जा रहा है। सुनवाई नहीं होने पर बस्तर के योगेश बघेल सहित 6 अन्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट मे याचिका दायर की है।

भर्ती प्रक्रिया में हुई है गड़बड़ी : MLA शुक्ला

इस मुद्दे पर TRP न्यूज़ से चर्चा करते हुए MLA सुशांत शुक्ला ने कहा कि उनके प्रश्न पर सदन में जो जवाब दिया गया है, वह काफी गोलमोल है, और यह तय है कि अधिकारियों ने गड़बड़ी की है। शुक्ला ने बताया कि अब यह मामला ध्यानाकर्षण में उठाएंगे, ताकि इस पर ठोस चर्चा हो और गड़बड़ी पर कार्रवाई को लेकर सरकार की ओर से कोई जवाब मिल सके।