बालक-बालिकाओं को व्यावहारिक रूप से अलग-अलग शिक्षा देनी चाहिएः इंदु
रायपुर। जैनधर्म की महिलाओं में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय जैन प्रतिनिधि, जिनधर्म रक्षक फाउंडेशन की संस्थापिका डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव को अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा एवं सदस्य धन्य कुमार जैन ने सम्मानित किया। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से भारत सरकार के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी अल्पसंख्यक धर्म की प्रमुख महिलाओं को सम्मानित किया गया।
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने कहा कि प्रधानमंत्री पूरे देश के लोगों को अपना परिवार मानते हैं और भारत की सभी महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं और आज यह सम्मान समारोह उन सभी नारी शक्ति को समर्पित है जो अपने-अपने क्षेत्र में अद्भुत् कार्य करते हुए गौरवान्वित कर रही हैं।
डॉ. इन्दु ने अपने वक्तव्य में बताया कि कर्मभूमि के प्रारम्भ में राजा ऋषभदेव (तीर्थंकर आदिनाथ) ने नारी शिक्षा का प्रथम उद्घोष किया था और पुत्री ब्राह्मी को अक्षर और पुत्री सुंदरी को अंक विद्या सिखाकर लिपि कला और अंक विद्या का प्रथम सूत्रपात किया था। डॉ. इन्दु ने कहा कि बालक-बालिकाओं को लौकिक रूप से समान शिक्षा भले ही मिले पर व्यावहारिक रूप से अलग-अलग शिक्षा देनी चाहिए।
जिससे बालक-बालिकाएं मर्यादित जीवन शैली सीखें और अपने परिवार, समाज की मर्यादा और देश की गौरवशाली संस्कृति का कभी हनन न करें । देश की सभी महिलाओं को सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा देने के लिए भारत सरकार, माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीया राष्ट्रपति महोदया , अल्पसंख्यक आयोग का डॉ. इन्दु ने आभार व्यक्त किया।
अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य धन्य कुमार जैन ने कहा कि नारी सदा ही सर्वोपरि है । नारी का सम्मान हर परिवार का सम्मान है।आज सभी महिलाओं को सम्मानित करके अल्पसंख्यक आयोग स्वयं गौरवान्वित है। आयोजन में सम्मानित सभी धर्म की प्रमुख महिलाओं ने सभा में अपने विचार प्रस्तुत किए और नारी शक्ति के कार्यों को सम्मानित करने के लिए अल्पसंख्यक आयोग का आभार व्यक्त किया।
रायपुर। जैनधर्म की महिलाओं में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय जैन प्रतिनिधि, जिनधर्म रक्षक फाउंडेशन की संस्थापिका डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव को अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा एवं सदस्य धन्य कुमार जैन ने सम्मानित किया। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से भारत सरकार के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी अल्पसंख्यक धर्म की प्रमुख महिलाओं को सम्मानित किया गया।
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने कहा कि प्रधानमंत्री पूरे देश के लोगों को अपना परिवार मानते हैं और भारत की सभी महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं और आज यह सम्मान समारोह उन सभी नारी शक्ति को समर्पित है जो अपने-अपने क्षेत्र में अद्भुत् कार्य करते हुए गौरवान्वित कर रही हैं।
डॉ. इन्दु ने अपने वक्तव्य में बताया कि कर्मभूमि के प्रारम्भ में राजा ऋषभदेव (तीर्थंकर आदिनाथ) ने नारी शिक्षा का प्रथम उद्घोष किया था और पुत्री ब्राह्मी को अक्षर और पुत्री सुंदरी को अंक विद्या सिखाकर लिपि कला और अंक विद्या का प्रथम सूत्रपात किया था। डॉ. इन्दु ने कहा कि बालक-बालिकाओं को लौकिक रूप से समान शिक्षा भले ही मिले पर व्यावहारिक रूप से अलग-अलग शिक्षा देनी चाहिए।
जिससे बालक-बालिकाएं मर्यादित जीवन शैली सीखें और अपने परिवार, समाज की मर्यादा और देश की गौरवशाली संस्कृति का कभी हनन न करें । देश की सभी महिलाओं को सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा देने के लिए भारत सरकार, प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति, अल्पसंख्यक आयोग का डॉ. इन्दु ने आभार व्यक्त किया।
अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य धन्य कुमार जैन ने कहा कि नारी सदा ही सर्वोपरि है । नारी का सम्मान हर परिवार का सम्मान है।आज सभी महिलाओं को सम्मानित करके अल्पसंख्यक आयोग स्वयं गौरवान्वित है। आयोजन में सम्मानित सभी धर्म की प्रमुख महिलाओं ने सभा में अपने विचार प्रस्तुत किए और नारी शक्ति के कार्यों को सम्मानित करने के लिए अल्पसंख्यक आयोग का आभार व्यक्त किया।