रायपुर। दो दिन पूर्व ही प्रदेश कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने आरोप लगाया था कि प्रदेश कांग्रेस के खजाने से विनोद वर्मा के पुत्र की कंपनी को करीब 6 करोड़ रुपए का भुगतान बिना किसी औपचारिकता के किया गया। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सफाई देते हुए विनोद वर्मा का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी में किसी तरह का कोई गबन या घोटाला नहीं हुआ है, जो भी भुगतान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से किया गया वह एक वैधानिक अनुबंध के तहत किया गया। प्रदेश कांग्रेस के एक पूर्व पदाधिकारी ने जो भी शिकायत की है वह दरअसल भाजपा स्लीपर सेल का दुष्प्रचार है।

‘मामले का मीडिया में प्रचार अनुशासन के खिलाफ’

मीडिया से चर्चा में भूपेश बघेल ने कहा कि पार्टी की अंदरूनी और वैधानिक अनुबंध पर इस तरह की शिकायत करना और फिर उसे मीडिया में प्रचारित प्रसारित करना पार्टी के अनुशासन के खिलाफ है और यह निश्चित तौर पर पार्टी के भीतर रहकर भाजपा के स्लीपर सेल के लिए काम कर रहे लोगों को काम है। इसीलिए भाजपा कांग्रेस पार्टी के इस अंदरूनी मामले को इतना तूल भी दे रही है। उन्होंने बताया कि मैंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी महासचिव सचिन पायलट और अध्यक्ष दीपक बैज से इस संबंध में बात की है और उनसे अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

‘सोशल मीडिया प्रबंधन के लिए हुआ था अनुबंध’

उन्होंने कहा है कि कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल ने इस अनुबंध से पहले मुझसे विस्तृत चर्चा की थी और मेरी जानकारी के अनुसार इसके लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष से बाक़ायदा स्वीकृति भी ली गई थी। बघेल ने कहा है कि मुख्यमंत्री के रूप में मेरे, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सोशल मीडिया प्रबंधन के लिए यह अनुबंध हुआ था।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि हर राजनीतिक दल अपने प्रचार प्रसार के लिए किसी न किसी प्रोफ़ेशनल कंपनी के ज़रिए काम करती है। इसमें कुछ भी नया नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने भी सोशल मीडिया प्रबंधन और अन्य कार्यों के लिए टेसू मीडिया लैब से अनुबंध किया तो यह पार्टी का अंदरूनी मामला है।

भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के हस्ताक्षर से ही हर महीने भुगतान होता रहा इसलिए यह कहना बेबुनियाद है कि उनको अंधेरे में रखकर कुछ किया गया। जो भी भुगतान हुआ है वह वैधानिक है और इसके लिए टीडीएस काटने और जीएसटी भुगतान जैसी सारी वैधानिक औपचारिकताएं भी पूरी की गई हैं। इस पूरे लेनदेन में किसी तरह की गड़बड़ी होने के कोई आसार ही नहीं हैं।