सबसे कम वोटों से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी 2014 में हारे थे। सबसे बड़ी जीत विजय बघेल ने 2019 में प्रतिमा चंद्राकर को दुर्ग में हराकर दर्ज की थी।

रायपुर। 2000 में छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने के बाद सबसे पहले यहां 2003 में विधानसभा चुनाव हुए। इसमें कांग्रेस हारी, जिसके तीन महीने बाद ही आम चुनावों की घोषणा कर दी गई। अप्रैल 2004 में मतदान शुरू हुए, जिसका रिजल्ट मई 2004 में आया। इस तरह 2004 में छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार आम चुनाव हुए। देशभर में कांग्रेस ने बढ़त बनाई, लेकिन छत्तीसगढ़ ने कांग्रेस को सिर्फ 1 सीटें दीं। बाकी 10 सीटें भाजपा ने जीतीं। छत्तीसगढ़ बनने के बाद से अब तक 4 बार आम चुनाव हुए हैं, जिसमें हमेशा भाजपा को ही बढ़त मिली। 2019 में ही कांग्रेस ने सिर्फ 2 सीटें जीतीं। बाकी हर बार सिर्फ एक ही सीट जीतने में कांग्रेस कामयाब हो पा रही थी।

छत्तीसगढ़ की लोकसभा सीटों पर हुए चुनावों पर अगर छोटी जीत और बड़ी हार पर नजर डालें तो पिछले दो सालों में ही सबसे छोटी और सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बना है। रिकॉर्ड के अनुसार 2014 में महासमुंद सीट से सबसे छोटी जीत भाजपा के प्रत्याशी चंदूलाल साहू को मिली है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ महज 1217 वोटों से जीत हासिल की थी। वहीं अगर सबसे बड़ी हार की बात करें तो 2019 में दुर्ग सीट से कांग्रेस को सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा। दुर्ग से बीजेपी के प्रत्याशी विजय बघेल ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा चंद्राकर को 3 लाख 91 हजार वोटों से हराया था। 2019 में ही रायपुर से भी कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी सुनील सोनी ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद दुबे को 3 लाख 48 हजार वोटों से हराया था। यह पहला मौका था जब छत्तीसगढ़ में जीत का अंतर 3 लाख के पार गया है।

2004 : प्रदीप गांधी की सबसे कम मार्जिंग से जीत

हर चुनावों में अगर छोटी जीत और बड़ी हार की बात करें तो 2004 में सबसे छोटी जीत राजनांदगांव में बीजेपी के प्रत्याशी को मिली थी। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के लिए विधानसभा से दावा वापस लेने वाले प्रदीप गांधी ने कांग्रेस के प्रत्याशी देवव्रत सिंह के खिलाफ 14323 वोटों से जीत दर्ज की थी। हालांकि इसी सीट पर 2007 में उपचुनाव हुए, जिसमें देवव्रत सिंह ने जीत दर्ज की थी। वहीं, सबसे बड़ी हार मध्यप्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ला को मिली थी। उन्हें रमेश बैस ने 129519 वोटों से हराया था। देश में कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार बनी थी।  

2009 : सरगुजा में बीजेपी को मिली सबसे बड़ी जीत

2009 में हुए आम चुनावों में छत्तीसगढ़ की दुर्ग सीट से सरोज पांडे ने सबसे छोटी जीत दर्ज की थी। सरोज पांडे ने दिग्गज कांग्रेसी प्रदीप चौबे को 9954 वोटों से हराया था।  वहीं सरगुजा के कांग्रेसी प्रत्याशी भानूप्रताप सिंह को सबसे बड़ी हार मिली थी। भानूप्रताप सिंह को भाजपा के मुरारीलाल सिंह ने 159548 वोटों से हराया था। इस वर्ष कांग्रेस को देशभर में बड़ी बढ़त मिली और मनमोहन सिंह दोबारा प्रधानमंत्री बने थे।

2014 : 1217 वोटों से हार गए जोगी

2014 में हुए आम चुनावों में देशभर में मोदी लहर थी और भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की। छत्तीसगढ़ में भी भाजपा का शानदार प्रदर्शन किया और 10 सीटें जीतीं। इसी चुनाव में छत्तीसगढ़ में सबसे छोटी दर्ज भाजपा प्रत्याशी को मिली। अजीत जोगी इसी चुनाव में महज 1217 वोटों से हार गए और सांसद बनने से चूक गए। कांग्रेस की तरफ से यह उनका आखिरी चुनाव था। इस वर्ष सबसे बड़ी हार राजनांदगांव में हुई, जहां भाजपा के अभिषेक सिंह ने कांग्रेस के कमलेश्वर वर्मा को 2 लाख 35 हजार वोटों से हराया।

2019 : सबसे बड़ी जीत विजय बघेल की

2019 में आम चुनाव में भाजपा ने 303 सीटें हासिल की, लेकिन छत्तीसगढ़ में भाजपा की एक सीट कम हो गई। बस्तर और कोरबा में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसी चुनाव में कांग्रेस के दो प्रत्याशी तीन लाख से भी ज्यादा वोटों से हारे। सबसे बड़ी जीत विजय बघेल ने दुर्ग में हासिल की, जिन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ 391978 वोटों से जीत हासिल की। वहीं, कांकेर में कांग्रेस प्रत्याशी बीरेश ठाकुर 6914 वोटों से भाजपा प्रत्याशी मोहन मंडावी से हार गए।