वाराणसी। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को टिकट दिया है। 2014 से वे लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यूपी की इस हाईप्रोफाइल सीट पर चुनौती दे रहे हैं। 2014 और 2019 के चुनावों में उन्हें न केवल हार का सामना करना पड़ा था बल्कि वे तीसरे नंबर पर रहे थे। 2014 में आप नेता अरविंद केजरीवाल और 2019 के चुनाव में सपा की शालिनी यादव दूसरे नंबर पर थी।

बाहुबली की रही है पहचान

अजय राय का जन्म 7 अक्टूबर 1969 को वाराणसी में सरेंद्र राय और पार्वती देवी राय के घर हुआ था। अजय राय के पिता गाजीपुर जिले के मूल निवासी थे। अजय राय की पहचान कभी बाहुबली के रूप में होती थी। वह हिस्ट्रीशीटर भी रह चुके हैं। कई आपराधिक मामलों में अजय राय का नाम आ चुका है।

कथित तौर पर कहा जाता है कि जब मुख्तार अंसारी और उनके गुर्गों ने साल 1994 में अजय राय के भाई अवधेश राय की वाराणसी के लहुराबीर में गोली मारकर हत्या कर दी थी तब अजय राय डॉन ब्रिजेश सिंह के साथ जुड़ गए थे। अजय राय का नाम 1991 में बनारस के डिप्टी मेयर अनिल सिंह पर हुए हमले में भी आया था, हालांकि बाद राय इस मामले में कोर्ट से बरी हो गए थे।

रासुका के तहत हो चुके हैं गिरफ्तार

अजय राय 2015 में रासुका (National Security Act) कानून के तहत गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं. आपराधिक मामलों को लेकर साल 2021 में अजय राय के चार शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिए गए थे। उस समय तत्कालीन डीएम कौशल राज शर्मा ने अजय राय के शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने के आदेश दिए थे।

टिकट नहीं मिलने पर तोड़ा BJP से नाता

लोकसभा का टिकट नहीं मिलने पर तोड़ लिया था बीजेपी से नाता
अजय राय अभी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। वह कभी पुराने संघी रह चुके हैं। इतना ही नहीं अजय राय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिष से भी जुड़े रहे। इसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़ गए। अजय राय को बीजेपी ने कोलासाला विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया।

भाजपा में रहते 3 बार MLA बने

वह चुनाव में जीत हासिल कर विधायक बन गए। वह 1996 से लेकर 2007 तक भाजपा के टिकट से लगातार तीन बार विधायक रहे। इसके बाद उन्होंने पार्टी हाईकमान से लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगा। टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया।

समाजवादी पार्टी का थाम लिया था दामन

भाजपा से हटने के बाद साल 2009 में अजय राय ने समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थाम लिया था। वह 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली। उस समय वाराणसी लोकसभा सीट से बीजेपी के मुलरी मनोहर जोशी को जीत मिली थी। इसके बाद साल 2009 में ही अजय राय ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पिंडरा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

साल 2012 में कांग्रेस से जुड़े

अजय राय साल 2012 में कांग्रेस से जुड़ गए। पार्टी ने उन्हें पिंडरा सीट से टिकट दिया, जिसमें उनको जीत मिली थी। वह कुल पांच बार विधायक रहे। इसके बाद लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में कांग्रेस ने वाराणसी लोकसभा सीट से पीएम मोदी के खिलाफ मैदान में उतारा लेकिन दोनों बार उन्हें हार मिली थी। लोकसभा चुनाव 2014 में पीएम मोदी को पौने छह लाख वोट मिले थे। 2019 के चुनाव में मोदी करीब पौने सात लाख वोट मिले। 2014 के चुनाव में आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने भी वाराणसी से चुनाव लड़ा था और वह दूसरे नंबर पर रहे थे। अजय राय तीसरे नंबर पर थे। लोकसभा चुनाव 2019 सपा की शालिनी यादव दूसरे नंबर पर और अजय राय तीसरे स्थान पर रहे थे।

कांग्रेस हाईकमान ने 2023 में अजय राय को यूपी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बना दिया। अब एक बार फिर अजय राज वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। अजय राय ने वाराणसी से टिकट मिलने के बाद कहा कि पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे पूरी मेहनत से निभाऊंगा। इस बार के चुनाव में परिणाम अलग होंगे और मुझे पूरा भरोसा है कि बनारस की जनता मुझे आशीर्वाद देगी। इस बार कांग्रेस का सपा के साथ गठबंधन है।

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