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महादेव पर ईओडब्ल्यू की एफआईआर में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आरोपी बनाने के बाद सियासी बवाल मचा हुआ है। भूपेश बघेल दावा कर रहे हैं कि हमने सट्टा पर सख्त कानून बनाया। सबसे ज्यादा कार्रवाई की। इसके बाद भी हम पर प्रोटेक्शन देने का आरोप लगाते हुए एफआईआर करना साय सरकार की गीदड़ भभकी है। इस दावे के बीच हमने ये जानने की कोशिश की, कि महादेव बुक के काले कारोबार का क्या स्टेटस है? इसको रोकने के लिए अब तक क्या प्रयास किए गए? किस तरह से यह बुक संचालित होती है? कितने लोगों का नेटवर्क काम कर रहा है? वर्तमान सरकार ने इसको रोकने के क्या ठोस उपाय किए हैं, क्योंकि भूपेश सरकार ने इस संबंध में डोमेन बंद करने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। हमारी पड़ताल में पता चला कि सटोरियों और खाईवालों पर अब भी महादेव की कृपा चल रही है। इतनी सख्ती के बाद इस पर कोई असर नहीं पड़ा है। पहले की ही तरह अब भी महादेव बुक का सिस्टम काम कर रहा है। करीब 800 ब्रांच दुनियाभर में संचालित हो रही हैं। तो वहीं इस नेटवर्क से करीब 10 हजार लोग जुड़े हुए हैं। इनमें करीब 9 हजार लोग अलग-अलग ब्रांच से लेकर पैनल में नौकरी कर रहे हैं।

दानिश अनवर। रायपुर

ईओडब्ल्यू की पिछले महीने मार्च में महादेव के मामले में एफआईआर के बाद छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में महादेव के नाम की गूंज उठ चुकी है। सरकार से लेकर विपक्ष और ब्यूरोक्रेट्स में चर्चा का विषय बने महादेव बुक की पड़ताल में पता चला कि 6 नवंबर 2023 को 22 अवैध सट्‌टेबाजी ऐप और वेबसाइट्स को केन्द्र सरकार की तरफ से ब्लॉक करने के बाद और महादेव बुक पर ईडी से लेकर हर तरह की एजेंसी की सख्ती के बाद भी महादेव बुक सहित सभी तरह के ऑनलाइन सट्‌टेबाजी ऐप और वेबसाइट्स धड़ल्ले से अब भी चल रहे हैं। केन्द्र सरकार ने जिन ऐप और वेबसाइट्स के डोमेन को बैन किया है, उसकी जगह ऑनलाइन बैटिंग ऐप के प्रमोटर्स ने उन्हीं नाम से नया डोमेन शुरू कर दिया। बैन करने के कुछ ही घंटों में नया डोमेन बना लिया गया था। इतना ही नहीं जिस पैटर्न पर पहले ऑनलाइन बैटिंग की जाती थी, अब भी लोग उसी पैटर्न पर बैटिंग कर रहे हैं। पेमेंट डिपॉजिट और क्रेडिट करने का पैटर्न ही कुछ ऐप में बदला है। राज्य सरकारों से लेकर केन्द्र सरकार तक की चारों तरफ की सख्ती के बाद भी अब तक कुछ भी नहीं बदला है। महादेव बुक के प्रमोटर्स बेरोकटोक अपना अवैध सट्टे का कारोबार चला रहे हैं। प्रदेश में हाईप्रोफाइल ड्रामा होने और सरकार बदलने के बाद भी अब भी महादेव की कृपा जारी है।

इस तरह बेटिंग करने वालों को मिलती है आईडी

विज्ञापनों में दिए गए महादेव बुक के मोबाइल नंबरों से संपर्क किया। संपर्क के बाद ऑनलाइन सट्टे के इस पूरे नेटवर्क को समझा कि ये सिस्टम किस तरह से काम करता है। इन नंबरों पर मैसेज करते ही आईडी मिलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। वाट्सऐप में मैसेज करते ही सबसे पहले आईडी लेने के लिए पैनल चुनने को बोला जाता है। पैनल चुनते ही रकम भेजने की प्रक्रिया बताई जाती है। इसके बाद आईडी बनाने के लिए नाम मांगा जाता है। जैसे ही नाम भेजा जाता है वैसे ही एक मिनट में आईडी बनकर आ जाती है। आईडी बनने के बाद उसका पासवर्ड बदलने के लिए बोला जाता है। बेटिंग करने वाला (जिसने आईडी ली है) पासवर्ड अपने हिसाब से रखता है  और फिर आईडी को लॉग इन करता है। लॉग इन करते ही बेटिंग शुरू कर दी जाती है। जितने रुपए जमा किए गए हैं, उतने का ही टोकन मिलता है। उन टोकन से बेटिंग ऑनलाइन होती है। जीत हार के बाद टोकन में पॉइंट बढ़ता-घटता है। जैसे कि 10 हजार रुपए जमा करने के पर टोकन में 10 हजार पॉइंट ही फ्लैश होता है। बेटिंग करने पर जैसे एक हजार का फायदा हुआ तो टोकन में 11 हजार पॉइंट हो जाते हैं। इसी तरह अगर नुकसान हुआ है तो उतना पॉइंट टोकन से कम हो जाता है। जीतने पर खिलाड़ी जब रकम मंगाना चाहे तो वह रकम मंगा सकता है। आधे घंटे के भीतर खिलाड़ी के बताए खाते में रकम आ जाती है।

20 से 40 फीसदी में मिलती है ब्रांच

महादेव बुक के प्रमोटर्स से जुड़े लोगों से बात की गई तो पता चला कि दुनियाभर में महादेव बुक की ही करीब 800 से ज्यादा ब्रांच अब भी चल रही है। 20 से 40 फीसदी के कमीशन में एक ब्रांच मिलती है। हर ब्रांच का सेटलिंग अमाउंट भी अलग-अलग होता है। हर हफ्ते सेटलिंग का सिस्टम बना हुआ है। वर्तमान में हफ्ते में दो बार सेटलिंग हो रही है। ब्रांच देने के लिए गारंटी के तौर पर 15 लाख से 25 लाख रुपए तक का अमाउंट भी लिया जा रहा है। ब्रांच का सेटलिंग अमाउंट की बात करें तो हफ्ते के 15 लाख रुपए से लेकर हफ्ते के दो करोड़ रुपए से ज्यादा तक की सेटलिंग हो रही है। हर ब्रांच सर्वर से जुड़ा हुआ है। इस कारनामे में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ब्रांच लेने वाले खिलाड़ी ढूंढने की जरूरत नहीं है। हर ब्रांच के साथ अलग-अलग खिलाड़ी भी मिलते हैं। एक ब्रांच में 12 सौ से लेकर 2 हजार तक खिलाड़ी होते हैं। ब्रांच का काम उन्हीं खिलाड़ियों को मैनेज करने का होता है। इसी का कमीशन उन्हें मिलता है। अगर ब्रांच फायदे में है तो प्रॉफिट अमाउंट का 20 से 40 फीसदी ब्रांच ऑपरेटर अपने पास रखकर बाकी की रकम प्रमोटर्स के बताए खाते में डाल देते हैं। या फिर हवाला के जरिए प्रमोटर्स तक पहुंचा देते हैं। प्रमोटर्स और ब्रांच ऑपरेटर्स के बीच हवाला करने वाले भी फिक्स होते हैं। कुछ चुनिंदा हवाला वालों से ही महादेव बुक से जुड़ी रकम हवाला कराई जाती है।

10 हजार से ज्यादा लोग महादेव बुक से जुड़े, कुछ पार्टनर तो कुछ कर रहे हैं नौकरी

महादेव बुक के प्रमोटर्स सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने बेटिंग का जो ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया है, उसके अनुसार पूरे सिस्टम को ऑपरेट करने में काफी मैनपॉवर की जरूरत पड़ती है। इसलिए उन्होंने एक फिक्स परसेंट में ब्रांच देने का काम शुरू किया है। इसके लिए बकायदा मोटी रकम डिपॉजिट भी कराई जाती है। ब्रांच लेने वाले ऑपरेटर्स प्रमोटर्स के डीलर बनकर काम करने लगे। ब्रांच के लिए लैपटॉप, महंगे मोबाइल, बैंक अकाउंट, मैन पॉवर और एक सुरक्षित जगह का इंतजाम करने की जिम्मेदार ब्रांच ऑपरेटर्स की होती है। हर ब्रांच में करीब 10 से 12 लोग होते हैं। इन्हें ऑपरेटर्स सैलरी में अपने ब्रांच में लोगों को नौकरी में रखता है। ये ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन बैंकिंग सिस्टम के एक्सपर्ट होते हैं। ये सब अरेंजमेंट होने के बाद ब्रांच ऑपरेटर्स पूरे सिस्टम का वीडियो बनाकर प्रमोटर्स की टीम को भेजते हैं। टीम अप्रूवल करती है, जिसके बाद एक ब्रांच उन्हें दे दिया जाता है। इस ब्रांच में 12 सौ से 2 हजार खिलाड़ी वाट्सऐप नंबर के जरिए जुड़े होते हैं। खिलाड़ी रकम डिपॉजिट करता है उतने का ही टोकन खिलाड़ी के आईडी में डाल दिया जाता है। उस टोकन से खिलाड़ी बुक के अलग-अलग खेलों के लाइव गेम के साथ ऑनलाइन कसीनों में बेटिंग करता है। बेटिंग के बाद रकम जीतने पर विड्रॉल मांगता है। जीती हुई रकम विड्रॉल करने के लिए खिलाड़ी से अकाउंट डिटेल मांगी जाती है। अकाउंट डिटेल मिलने के बाद खिलाड़ी के खाते में रकम ट्रांसफर कर दी जाती है। अलग-अलग ब्रांच इसी तरह खिलाड़ी को मैनेज करती है। इस तरह करीब 10 हजार लोग बुक से जुड़े हुए हैं, जो महादेव बुक के लिए काम करते हैं। खिलाड़ियों की संख्या लाखों में हैं।

नई सरकार की तरफ से कोई कोशिश नहीं

महादेव बुक मामले में अब तक छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में करीब 75 से ज्यादा एफआईआर की जा चुकी है। तीन साल से लगातार कार्रवाई की जा रही है। 2021 से इस पर सख्ती शुरू हुई है। तभी से सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल अपनी टीम के साथ दुबई से पूरे बुक को ऑपरेट कर रही है। छत्तीसगढ़ में पिछली सरकार के समय पर करीब साढ़े 4 सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये ऐसे लोग हैं जो महादेव बुक के अलग-अलग ब्रांच में काम करते थे या फिर ब्रांच ऑपरेट करते थे। पिछले तीन महीने महादेव पर सख्ती काफी कम कर दी गई है। नई सरकार की तरफ से ऑनलाइन बेटिंग ऐप के डोमेन की जानकारी भी केंद्र सरकार को नहीं भेजी गई है। ऐसे में धड़ल्ले से महादेव बुक का काला कारोबार छत्तीसगढ़ में चल रहा है। महादेव बुक से जुड़े हवाला कारोबारियों पर ईडी की सख्ती के बाद नए हवाला कारोबारियों से कॉन्टैक्ट कर रकम हवाला किया जा रहा है। रायपुर से ही करीब 40 से ज्यादा ब्रांच ऑपरेट हो रही है।

जब बयान के आधार पर पुलिस अफसरों का नाम नहीं तो फिर उसी बयान से पूर्व सीएम का नाम क्यों?

ईओडब्ल्यू ने जिन 6 मामलों में एफआईआर की उन मामलों में 2022 से ईडी ने पिछली सरकार पर शिकंजा कसा और लगातार छापे मारे। शराब, कोल, डीएमएफ और कस्टम मिलिंग में कई आईएएस, सीएम सचिवालय के अफसर और कारोबारियों को गिरफ्तार भी किया गया। इन सभी एफआईआर में से महादेव बुक ऐप पर की गई एफआईआर ने सबसे ज्यादा हैरान किया। हैरानी इस बात की है कि गिरफ्तार आरोपियों के बयान के आधार पर ईडी ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस अफसरों और राजनैतिक व्यक्तियों के नाम का उल्लेख करते हुए साफ तौर पर लिखा था कि ये अफसर महादेव बुक ऐप के प्रमोटर्स को प्रोटेक्शन देते थे। एफआईआर में उन अफसरों के नाम नहीं हैं। इस मामले में गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि ‘किसी के बयान के आधार पर आप किसी के भी खिलाफ एफआईआर नहीं कर सकते। लेकिन, गिरफ्तार आरोपियों के उसी बयान के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आरोपी बना दिया गया है। जबकि ईडी के वकील सौरभ पांडे का कहना है कि ‘ईडी के प्रतिवेदन में षड्यंत्र और भ्रष्टाचार में शामिल सभी लोगों के नाम हैं। ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में उनका नाम क्यों नहीं लिखा, ये तो एफआईआर देखने के बाद ही पता चलेगा।’

कई कंपनियों और शेयर बाजार में रकम की निवेश

ब्यूरो की एफआईआर में इस बात का भी उल्लेख है कि महादेव बुक ऐप के प्रमोटर्स ने ऑनलाइन बैटिंग से अर्जित अवैध राशि को कई कंपनियों में निवेश किया है। शैल कंपनियों और शेयर मार्केट में भी रकम इन्वेस्ट की गई है। प्रमोटर्स ने ऑनलाइन सट्‌टा के प्रमोशन के लिए सट्‌टेबाजी वेबसाईटों में भारी मात्रा में नगद रकम खर्च की गई है। इसके लिए हर साल एनुअल स्टार स्टडेड प्रोग्राम कराए जाते थे, जिसमें शामिल हस्तियों को सट्‌टेबाजी से मिले अवैध राशि से भुगतान किया जाता था। ईओडब्ल्यू ने एफआईआर में भूपेश बघेल के अलावा रवि उप्पल, शुभम सोनी, चंद्रभूषण वर्मा, असीमदास, सतीश चंद्राकर, नीतीश दीवान, सौरभ चंद्राकर, अनिल अग्रवाल, विकास छापरिया, रोहित गुलाटी, विशाल आहुजा, धीरज आहुजा, अनिल दम्मानी, सुनील दम्मानी, भीम सिंह यादव, हरीशंकर तिबरवाल, सुरेंद्र बागड़ी और सूरज चोखानी को आरोपी बनाया है।

डोमेन पर निगरानी का काम केन्द्र सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत है। जिन डोमेन की शिकायत की जाती है, उन्हें ही ब्लॉक किया जाता है। इसके अलावा अन्य डोमेन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। ऑनलाइन गेमिंग के सिस्टम को पूरी तरह बंद करने के उपाय निकाले जा रहे हैं। – संतोष सिंह, एसएसपी, रायपुर

महादेव बुक को ऑपरेट करने वालों पर शिकंजा कसने की कोशिश हो रही है। ईओडब्ल्यू ने एफआईआर की है। हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि जिम्मेदारों पर कार्रवाई कर सकें। किसी के बयान के आधार पर हर किसी के खिलाफ एफआईआर नहीं की जा सकती है। आगे और कार्रवाई की जाएगी। – विजय शर्मा, गृहमंत्री, छत्तीसगढ़