टीआरपी डेस्क। शेयर बाजार ने 4 जून मंगलवार को लोकसभा चुनाव के नतीजों वाले दिन बड़ी गिरावट देखी थी और सेंसेक्स 6000 अंक तक टूट गया था। इस बीच बीएसई का मार्केट कैपिटलाइजेशन 30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कम हो गया था। लेकिन, महज तीन से चार दिन में शेयर मार्केट ने इसकी भरपाई कर ली है।

सेंसेक्स और निफ्टी ने चालू हफ्ते को साल 2024 का वेस्ट वीक बताते हुए कहा है कि शुक्रवार तक मार्केट ने मंगलवार को हुए नुकसान की पूरी भरपाई कर ली है। शुक्रवार को शेयर बाजार ने भले ही मामूली शुरुआत की हो, लेकिन जैसे-जैसे राजनीतिक गलियारों में गहमा-गहमी बढ़ी, Sensex-Nifty में तेजी भी बढ़ती चली गई। फिर जैसे ही NDA की बैठक में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के नाम के प्रस्ताव पर सभी ने समर्थन दिया और Modi 3.0 पर मुहर लगी, शेयर बाजार ने भी लंबी छलांग लगा दी।
बीएसई के सेंसेक्स ने तो अपने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ डाले और नए ऑल टाइम हाई लेवल पर जा पहुंचा। कारोबार के दौरान Sensex 1650 अंक चढ़कर 76,795 के लेवल को छू गया। वहीं निफ्टी भी 468 अंक की तूफानी तेजी के साथ बंद हुआ। बता दें कि 3 जून को सेंसेक्स ने 76738 का हाई बनाया था।
चुनाव सहित देश-विदेश में चलने वाली गतिविधियों का असर बाजार पर पड़ता ही है। चुनाव के बीच इस ऐतिहासिक आंकड़े से बाजार में उम्मीद जगी है और इस बात पर भी चर्चा होने लगी है कि चुनाव नतीजों के बाद बाजार की स्थिति कैसी रहेगी। इस चर्चा के बीच हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि पिछले चुनावों के वक्त शेयर बाजार का प्रदर्शन कैसा रहा था।
किस प्रधानमंत्री के कार्यकाल में शेयर बाजार से निवेशकों को हुआ कितना हुआ फायदा?
प्रधानमंत्री | कार्यकाल | कार्यकाल की शुरुआत में बीएसई में किया गया एक हजार रुपये का निवेश कार्यकाल के अंत में कितना हो गया (रुपये में) |
नरसिंंह राव | 21 जून 91 से 16 मई 96 | 2807.6 |
अटल बिहारी वाजपेयी | 16 मई 96 से 31 मई 96 | 974.3 |
एचडी देवेगौड़ा | 3 जून 96 से 21 अप्रैल 97 | 1000.2 |
इंद्र कुमार गुजराल | 21 अप्रैल 97 से 19 मार्च 98 | 1005.5 |
अटल बिहारी वाजपेयी | 19 मार्च 98 से 21 मई 04 | 1298.5 |
मनमोहन सिंह | 24 मई 04 से 22 मई 09 | 2710.6 |
मनमोहन सिंह | 22 मई 09 से 26 मई 14 | 1779.8 |
नरेंद्र मोदी | 26 मई 14 से 13 मई 19 | 1611.5 |
नरेंद्र मोदी | 13 मई 19 से 22 मई 24 | 1863.4 |
गणना के मुताबिक 1996 में 13 दिन के अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में ही निवेशकों को घाटा हुआ। बाकी सभी प्रधानमंत्री के कार्यकाल में कुछ न कुछ फायदा ही हुआ। सबसे कम फायदा एचडी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल के कार्यकाल में हुआ। ये दोनों साल भर से कम ही प्रधानमंत्री के पद पर रहे थे।
मोदी के कार्यकाल में निवेशकों को कितना फायदा?
नरेंद्र मोदी और मनमोहन सिंंह के दो कार्यकालों की तुलना करें तो पता चलता है कि मनमोहन सिंंह के पहले कार्यकाल के दौरान बीएसई में एक हजार रुपये का निवेश 2710 रुपये तक पहुंच गया था, जबकि दूसरे कार्यकाल में यह 1780 रुपये तक गया था। नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में जहां निवेशकों को हजार रुपये के निवेश पर 611 रुपये का फायदा हुआ, वहीं दूसरे कार्यकाल में 863 रुपये का फायदा हुआ है।
किस प्रधानमंत्री का कार्यकाल शेयर बाजार को आया पसंद?
शेयर बाजार की चाल को पिछले प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल के दौरान के लिहाज से देखें तो सबसे अच्छा रिटर्न डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में बाजार ने दिया है। 2004 से 2008 के कार्यकाल के दौरान बाजार ने 168% का रिटर्न दिया है। इसके बाद नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में बाजार का प्रदर्शन शानदार रहा, जिसमें मार्केट 88% तक उछला। डॉ मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में भी बाजार ने पॉजिटिव रिटर्न दिया है, जिसमें निवेशकों को 78% तक का रिटर्न मिला है।
मार्केट आंकड़ों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में बाजार ने 60 फीसदी का पॉजिटिव रिटर्न दिया है। वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान बाजार की तेजी देखें तो निवेशकों को उनके दूसरे और तीसरे कार्यकाल में 30 फीसदी का रिटर्न मिला है। जबकि पहले कार्यकाल में मार्केट का रिटर्न 2.6% निगेटिव रहा।
प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल के दौरान स्टॉक मार्केट का प्रदर्शन
प्रधानमंत्री रिटर्न
- नरेंद्र मोदी (Term II) +88%
- नरेंद्र मोदी (Term I) +60%
- डॉ मनमोहन सिंह (Term II) +78%
- डॉ मनमोहन सिंह (Term I) +168%
- अटल विहारी बाजपेयी (Term II, III) +30%
- आईके गुजराल +0.6%
- एचडी देव गौड़ा +0.02%
- अटल विहारी बाजपेयी (Term I) -2.6%
- पीवी नरसिम्हा राव +181%