रायपुर। रायपुर-महासमुंद बॉर्डर में महानदी पुल पर हुई माब लिंचिंग में गंभीर रूप से घायल हुए तीसरे युवक सद्दाम कुरैशी की भी मंगलवार को मौत हो गई। 10 दिन तक अस्पताल में सद्दाम का बचाने की कोशिश की जा रही थी। सद्दाम ही इस पूरे मामले के इकलौते गवाह थे। इस घटना में सहारनपुर (यूपी) के दो युवकों चांद खान, गुड्डू खान की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए रायपुर पुलिस की एसआईटी जांच कर रही है। शुरुआती जांच के आधार पर आरंग थाने में गैर इरादतन हत्या, हत्या के प्रयास की एफआईआर दर्ज की थी। आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस को सद्दाम के होश में आने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आरोपियों की गिरफ्तारी और उनकी शिनाख्ती के पहले ही उसकी जान चली गई।

जानकारी के अनुसार गौ तस्करी के शक में 7 जून की रात दर्जनभर युवकों ने तीनों की जमकर पिटाई की थी। इस पिटाई में घायलों को जख्मी हालत में पुल से नीचे फेंक देने की बात सामने आ रही है, जिसकी जांच पुलिस कर रही है। इस मामले की जांच के लिए 14 अफसरों की एसआईटी बनाई गई है, लेकिन पिछले डेढ़ हफ्ते से एसआईटी जांच, इसकी फाइंडिंग और रिपोर्ट का कुछ भी पता नहीं है। पुलिस इस केस में सद्दाम का भी बयान नहीं ले सकी थी। हर दिन मजिस्ट्रेट के सामने बयान लेने की कोशिश हो रही थी, लेकिन वह होश में ही नहीं आया।

आरंग माब लिंचिंग केस में भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल, गृहमंत्री और डीजीपी से मुलाकात कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। सही तरह से जांच कर मामले में हत्या की एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की गई है। इस पूरे घटना क्रम जहां एक तरफ यह दावा किया जा रहा है कि तीनों को पिटाई कर फेंका गया है तो वहीं दूसरी तरफ यह दावा भी किया जा रहा है कि जब हमलावरों ने ट्रक पर सवार युवकों को रोका तो डर की वजह से सीधे पुल से तीनों ने छलांग लगा दी। ऐसा दावा करने वालों  का यह भी कहना है कि पानी होने की आशंका पर तीनों ने छलांग लगाई थी, लेकिन नीचे पानी नहीं था और पत्थरों से टकरा गए। इसकी वजह से तीनों को गंभीर चोटें आईं। दो की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, एक की 10 दिन बाद इलाज के दौरान मौत हुई है।