0 जस्टिस ने कहा- शिक्षा व्यवस्था का ये हाल है तो कैसे काम चलेगा ?
रायपुर। प्रदेश में सरकारी स्कूलों की स्थिति काफी दयनीय होती जा रही है। बीते कुछ सैलून से ऐसे अनेक मामले सामने आये जिससे इस बात का अहसास होता है कि शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और जिम्मेदार अफसरों का शिक्षा अमले पर कोई कंट्रोल नहीं रह गया है। हाल के मामलों, यथा स्कूल में बीयर पार्टी, DEO की फटकार से बहे छात्राओं के आंसू, दूरस्थ अंचल के स्कूलों में सैकड़ों स्कूलों में शिक्षक का आभाव, वहीं शहरी इलाके के स्कूलों में जरुरत से ज्यादा शिक्षकों की पोस्टिंग, इन सभी मामलों को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लिया है और जनहित याचिका दायर कर जिम्मेदार अफसरों पर नाराजगी जताई है।
शिक्षकों की कमी और छात्राओं को जेल भेजने की धमकी
पिछले दिनों राजनादगांव में शिक्षकों की मांग करने वाली स्कूली छात्राओं को DEO ने डांटते हुए जेल भेजने की धमकी दे दी थी। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए छात्राएं बिलख पड़ीं। इस खबर को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट ने जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई है।
सीजे ने पूछा – ऐसे में कैसे चलेगा काम?
इस दौरान सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में 297 स्कूल शिक्षकविहीन हैं, जहां वैक्लिपक व्यवस्था की गई है। इनमें से 60 स्कूलों में स्थानीय स्तर पर शिक्षकों की व्यवस्था की गई है। आसपास पोस्टेड टीचर इन शिक्षकविहीन स्कूलों में पढ़ाते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि एक-एक शिक्षक के ऊपर दो-दो स्कूलों का प्रभार है।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि कलेक्टर और स्थानीय प्रशासन ने जानभागीदारी समिति के जरिए अस्थाई टीचर की व्यवस्था भी की है। दूरस्थ और नक्सल प्रभावित स्कूलों में शिक्षा दूत नियुक्त किए गए हैं।
इस तरह की वैकल्पिक व्यवस्था पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है। शासन का जवाब सुनकर हाईकोर्ट ने हैरानी जताई। चीफ जस्टिस सिन्हा ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था का ये हाल है तो कैसे काम चलेगा।
कोर्ट ने सचिव से मांगा जवाब
डिवीजन बेंच ने शिक्षा विभाग के सचिव को शपथपत्र के साथ यह बताने के लिए कहा है कि प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भर्ती कब तक होगी। इसके लिए चल रही प्रकिया की जानकारी भी मंगाई है। प्रकरण की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।
स्कूल में बीयर पार्टी- प्राचार्य के खिलाफ एक्शन
बिलासपुर जिले के मस्तूरी क्षेत्र के हाईस्कूल में छात्राओं की बीयर पार्टी के मामले में भी सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने इसे सेंसेटिव मामला बताकर लाइव स्ट्रीमिंग बंद कर सुनवाई की। मामला सामने आने के बाद कलेक्टर अवनीश शरण ने जांच रिपोर्ट मंगाई थी, जिसमें इस अव्यवस्था के लिए प्राचार्य को जिम्मेदार माना गया है। लिहाजा, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।
अफसरों के रवैए से हाईकोर्ट नाराज
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ की छात्राएं स्कूल में शिक्षक नहीं होने पर नियुक्ति की मांग को लेकर जिला शिक्षाधिकारी से मुलाकात करने गई थीं। छात्राओं का कहना था कि बिना शिक्षक के उन्होंने 11वीं पास कर ली है, लेकिन 12वीं की परीक्षा कैसे पास कर पाएंगी।
छात्राओं की इस जायज मांग पर जिला शिक्षाधिकारी ने उनके साथ दुर्व्यवहार करते हुए कहा कि, जिंदगी भर जेल में रहोगे तो समझ में आएगा। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने घटना की गंभीरता को देखते हुए अफसरों के रवैए को लेकर नाराजगी जताई है।
अब जानिए प्रदेश के सरकारी स्कूलों का हाल
हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई में राज्य सरकार ने जानकारी दी है कि राज्य में 48548 सरकारी स्कूल हैं। इनमें से करीब 5484 स्कूल में केवल एक ही शिक्षक पदस्थ हैं। जबकि 297 स्कूल शिक्षक विहीन हैं।
साथ ही अधिकारीयों ने यह भी दलील दी है कि शिक्षक विहीन स्कूलों का अर्थ यह नहीं है कि स्कूल में शिक्षा देने के लिए कोई शिक्षक नहीं है। बल्कि अन्य स्कूलों में जो शिक्षक अतिशेष हैं, उन्हें इन स्कूलों में शिक्षा देने के लिए भेजा जाता है। इस जवाब के आधार पर कोर्ट ने पूछा है कि कितने अतिशेष शिक्षक ऐसे स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। हाई कोर्ट ने स्कूल शिक्षा सचिव से पूछा था कि 297 शिक्षक विहीन स्कूलों में कितने अतिशेष शिक्षकों को पढ़ाने के लिए तैनात किया गया है? शपथ पत्र के साथ इस संबंध में सूची दी जाये।
शिक्षकों के हजारों पद हैं रिक्त
प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में 1580 शिक्षकों की कमी है। इनमें 138 व्याख्याता, 358 शिक्षक और 1084 पद सहायक शिक्षक के खाली पड़े हैं। इधर, प्राचार्य 95 और प्रधान पाठक के 149 पद खाली हैं। स्कूलों में चपरासी के 999 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 533 कार्यरत हैं, जबकि 466 पद खाली पड़े हैं। जिले में 1113 प्रायमरी स्कूल 518 मिडिल 104 हाई और 123 हायर सेकेंड्री स्कूल है। शिक्षकों की कमी का असर पढ़ाई पर पड़ रहा है।
अतिशेष शिक्षकों की संख्या 6406..!
शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो एक ओर जहां एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन स्कूलों की संख्या है, उसके मुकाबले स्कूलों में स्वीकृत पद से अधिक शिक्षक हैं। इनकी पदस्थापना करने का आदेश था, लेकिन विरोध के चलते इसे ठन्डे बास्ते में डाल दिया गया है। अतिशेष शिक्षक प्राइमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में हैं।