Cow Declared Rajmata: महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए गाय को राज्यमाता का दर्जा दे दिया है। इस फैसले के बाद महाराष्ट्र गाय को राज्यमाता घोषित करने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है। सरकार द्वारा जारी आदेश में गाय के धार्मिक, सांस्कृतिक, चिकित्सा और कृषि में महत्व को रेखांकित किया गया है।

उत्तराखंड बना था पहला राज्य

इससे पहले, उत्तराखंड गाय को “राजमाता” घोषित करने वाला पहला राज्य था। 2018 में उत्तराखंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक संकल्प पारित किया था, जिसमें गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग की गई थी। महाराष्ट्र ने अब इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए गाय को राज्यमाता का दर्जा दे दिया है।

आयुर्वेद और पंचगव्य चिकित्सा पद्धति में गाय का योगदान

महाराष्ट्र सरकार ने अपने आदेश में पंचगव्य चिकित्सा पद्धति में गाय के महत्व पर भी जोर दिया। पंचगव्य पद्धति, जिसमें गाय का दूध, मूत्र, गोबर, घी, और दही शामिल होते हैं, विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोगी मानी जाती है। जैविक खेती में गोमूत्र का भी व्यापक उपयोग किया जाता है, जो फसलों के लिए लाभकारी होता है।

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गाय का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

हिंदू धर्म में गाय को हमेशा से गौमाता का दर्जा प्राप्त है। धार्मिक अनुष्ठानों में गोमूत्र और गोबर का विशेष महत्व है। इसके साथ ही, गाय के दूध को शारीरिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।

जैविक खेती में गोमूत्र का महत्व

महाराष्ट्र सरकार ने अपने फैसले में जैविक खेती में गोमूत्र के उपयोग को भी महत्व दिया है। यह फसलों के लिए लाभकारी होता है और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए इसका उपयोग महत्वपूर्ण है।

सरकार के फैसले की सराहना

राज्य के कई धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले की सराहना की है। इस निर्णय को राज्य की संस्कृति और धर्म को और मजबूती देने वाला कदम माना जा रहा है। गौमाता को राज्यमाता का दर्जा देकर सरकार ने समाज में उनके प्रति सम्मान को बढ़ावा देने का प्रयास किया है।