टीआरपी डेस्क। Tirupati Laddu Row: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तिरुपति लड्डू विवाद से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कहा कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में आंध्र प्रदेश सरकार के वकील से कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे।
कोर्ट ने उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने लैब रिपोर्ट के आधार पर कहा कि जिस घी की जांच की गई थी, वह रिजेक्ट किया गया घी था। कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से यह भी पूछा कि एसआईटी जांच का आदेश देने के बाद प्रेस में जाने की क्या आवश्यकता थी? न्यायालय ने स्पष्ट किया कि “एसआईटी जांच के नतीजे आने तक, प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी?”
वकील ने पेश की दलीलें
- सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक याचिका का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कोर्ट में कहा कि वे एक भक्त के रूप में यहां आए हैं और प्रसाद में मिलावट के बारे में प्रेस में दिए गए बयान के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
- वकील ने कहा कि इससे कई अन्य मुद्दे उठ सकते हैं और सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है।
- ये चिंता का विषय हैं। अगर भगवान के प्रसाद पर कोई सवालिया निशान है तो इसकी जांच होनी चाहिए।
SC का आदेश
- कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह उचित होगा कि सॉलिसिटर जनरल हमें यह तय करने में सहायता करें कि क्या पहले से नियुक्त एसआईटी को जारी रखना चाहिए या किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की जानी चाहिए।
- कोर्ट ने इसके बाद मामले को 3 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 30 बजे तक रखने का निर्देश दिया। जज ने वकील लूथरा से कहा कि आपको अपने सभी मुवक्किलों को बताया चाहिए कि वो बयान देने पर संयम बरतें।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नमूने में सोयाबीन तेल हो सकता है, इसका मतलब यह नहीं है कि मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया है। कोर्ट ने कहा कि आपूर्तिकर्ता पर संदेह किया जा सकता है, लेकिन बिना सबूत के ऐसा बयान देना सही नहीं था।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उसका प्रथम दृष्टया मानना है कि जांच प्रक्रियाधीन थी और सीएम नायडु का ऐसा बयान देना उचित नहीं था, जिससे जनता की भावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
क्या है तिरुपति लड्डू विवाद?
इस विवाद का कारण यह है कि आरोप लगाया गया है कि आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुमाला मंदिर के प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू प्रसादम में जानवर की चर्बी मिली हुई थी। इस दावे के अनुसार, लड्डू में उपयोग किए गए गाय के घी के नमूनों के प्रयोगशाला विश्लेषण से जानवरों की चर्बी और मछली के तेल की उपस्थिति का पता चला है।