रायपुर। कोर्ट का फैसला जब आमजन के पक्ष में आता है, तो यह न केवल न्याय की जीत होती है, बल्कि समाज में विश्वास और उम्मीद की नई किरण भी जगाता है। वहीं, जब इस फैसले पर अमल नहीं किया जाता तो लोगों के मन में एक गहरी पीड़ा होती है, जो उन्हें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या उनका संघर्ष और उनकी उम्मीद व्यर्थ है।

छत्तीसगढ़ में होने वाले खनिज परिवहन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस फैसले से प्रदेशभर में खनिज परिवहन प्रभावित होगा और इनसे पीड़ित लोगों को राहत मिल सकेगी। लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ और आज भी हजारों लोगों की जिंदगी धूल-मिट्टी से जूझ रही हैं।
दरअसल, रावघाट परियोजना से लौह अयस्क का परिवहन करने वाले अवैध ट्रकों को रोकने के लिए रावघाट संघर्ष समिति, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन और युवा प्रकोष्ट रावघाट सतत विकास समिति ने मिलकर जनवरी 2024 में एनजीटी की भोपाल पीठ में एक याचिका लगाई थी। रावघाट संघर्ष समिति के अध्यक्ष सोमनाथ उसेंडी ने बताया कि याचिका पर फैसला सुनाते हुए एनजीटी ने राज्य सरकार को आदेशित किया कि-
प्रदेशभर में खनिज परिवहन के भारी ट्रैकों पर सख्त नियंत्रण रखा जाए।
उनकी गतिसीमा पर रोक लगाने के लिए सभी ट्रकों में वीटीएस यंत्र लगाया जाए।
स्कूलों के संचालन के समय खनिज ट्रकों की आवाजाही पर रोक लगेगी।
ट्रैकों के रास्तों में वायु गुणवत्ता को मापने के लिए यंत्र लगाए जाएं और जब वायु प्रदूषित होने लगेगी, तो ट्रकों की आवाजाही पर तुरंत रोक लगाई जाए।

उन्होंने बताया कि रावघाट परियोजना में लोह अयस्क के परिवहन की जिम्मेदारी रेलवे को सौंपी गई थी। लेकिन दल्ली रावघाट रेल लाइन निर्माण में विलंब के कारण, केंद्र सरकार ने बीएसपी ट्रकों के माध्यम से अयस्क परिवहन की अनुमति दी थी। अनुमति के अनुसार अयस्क को ट्रकों के जरिए रावघाट से अंतागढ़ तक लाया जाना था, जो मात्र 58 किलोमीटर की दूरी है। पर यह रावघाट अंतागढ़ मार्ग बहुत संकरा है और गांवों के बीच से होकर गुजरता है। रावघाट संघर्ष समिति के नेतृत्व में ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। जिसके बाद कंपनी ने बिना पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के 232 किलोमीटर लंबे रास्ते से अवैध रूप से ट्रकों का परिवहन शुरू कर दिया।
रावघाट क्षेत्र में रोजाना करीब 300 खनिज ट्रक इन मार्गों पर चलते हैं, जिस कारण सारी सड़के जर्जर हो गई है, और उनमें बड़े बड़े गड्ढे हो गए है। रावघाट क्षेत्र में ही मात्र एक वर्ष में ही इन ट्रकों से संबंधित दुर्घटनाओं में 16 मासूमों की जान चली गई। इसी परिवहन से परेशान हो कर स्थानीय संगठनों ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण में चुनौती दी।
रावघाट ही नहीं, प्रदेशभर में यही समस्या
ऐसी समस्याएं केवल रावघाट तक ही सीमित नहीं है, प्रदेश के हर कोने में महसूस होती हैं। चाहे वे ट्रक बैलाडीला में चलते हो या रायगढ़ में। खनिज परिवहन के भारी वाहनों के रास्तों पर रहने वाले ग्रामीणों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। भारी ट्रकों की लगातार आवाजाही से गंभीर धूल प्रदूषण हो गया है, जिससे व्यापक रूप से श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा हो रही हैं। संकीर्ण गांव की सड़कें खतरनाक हो गई हैं, ट्रैफिक बढ़ने से अक्सर दुर्घटनाएँ हो रही हैं और पैदल चलने वालों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। ट्रकों से होने वाला लगातार शोर और कंपन भी रोजमर्रा की जिंदगी को बाधित कर रहा है, जिससे घरों को नुकसान पहुंच रहा है, और फैसले, पेड़-पौधे भी धूल के कारण कमजोर हो जाते हैं। लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा है, साथ ही तेज रफ्तार ट्रकों से सड़कों पर दुर्घटनाएं होती हैं।
एनजीटी ने अपने फैसले में भी अपने निर्देश केवल रावघाट तक ही सीमित नहीं किए, वरन पूरे छत्तीसगढ़ के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों में खनिजों के ट्रकों के परिवहन पर सख्त पाबंदियाँ लगाई गई हैं, जो पूरे राज्य में लागू होंगी। अगर इन नियमों का ठीक से पालन किया गया, तो इससे प्रभावित ग्रामीणों को बड़ी राहत मिल सकती है। इस फैसले से छत्तीसगढ़ में लागू किए गए कुछ मुख्य दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं-
खनिज ले जाने वाले ट्रकों की रफ्तार अब 40 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
सभी वाहनों में एक वीटीएस सिस्टम लगाया जाएगा, जो इनकी गति पर नजर रखेगा।
अगर कोई चालक तय गति से ज्यादा तेज चलाता है, तो उसका नाम एक वेबसाइट पर दिखाया जाएगा, और अगर उसकी गलती बार-बार होगी, तो उसे रोक दिया जाएगा।
ट्रकों के चलने का समय सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक होगा।
अगर ट्रक स्कूलों के पास से गुजरते हैं, तो स्कूल के समय के अनुसार इसे बदला जा सकता है।
अगर इन ट्रकों का कोई एक्सीडेंट होता है, तो ड्राइवर को प्रथम दृष्टया दोषी माना जाएगा।
अगर खनन कार्यों से फसलों को नुकसान पहुंचता है, तो कंपनी की तरफ से बीमा दिया जाएगा।
जितनी ज्यादा हो सके, सभी रास्तों पर प्रदूषण मॉनीटर लगाए जाएंगे।
अगर प्रदूषण तय सीमा से ज्यादा होता है, तो ट्रकों की आवाजाही को रोका जा सकता है।