धमतरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी में परंपरागत देव मड़ई का आयोजन किया गया। मेले के दौरान मां अंगारमोती के मंदिर में संतान प्राप्ति की इच्छा लिये सैकड़ों महिलाएं पेट के बल लेटीं और बैगा जनजाति के लोग उनके ऊपर से होकर गुजरे। इस प्रथा को परण कहा जाता है।
दंडवत लेटी महिलाएं, दौड़ते चले गए बैगा
मान्यता है कि ऐसा करने से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। इस बीच परण निभाने के लिए महिलाएं नींबू, नारियल और अन्य पूजा सामाग्री लेकर खुले वालों और पेट के बल लेटी रहीं। जिस भी महिला के उपर बैगा का पैर पड़ता है, उसे संतान के रूप में माता अंगारमोती का आशीर्वाद मिलता है और उनकी सूनी गोद भर जाती है। यहां चारों तरफ ढोल-नगाड़ों की गूंज रहती है। बैगाओं को आता देख कतार में खड़ी सारी महिलाएं पेट के बल दंडवत लेट गईं और सारे बैगा उनके ऊपर से गुजरते हुए निकले।
अनुचित और अमानवीय है यह परंपरा : डॉ मिश्र
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि धमतरी में गंगरेल के पास अंगारमोती मंदिर में बैगाओं के दल द्वारा महिलाओं के ऊपर चलने की परंपरा अनुचित और अमानवीय है। धार्मिक आस्था, अनुष्ठान की स्वतंत्रता तो सबको है पर सन्तानप्राप्ति के नाम पर महिलाओं के साथ ऐसे हानिकारक रिवाज और कुरीतियों को बंद होना चाहिए।
डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा “उन्हें जानकारी मिली है कि धमतरी, शहर से 14 किमी दूर गंगरेल के पास मां अंगारमोती में शुक्रवार को मड़ई मेला लगा। यहां 54 गांव के देव विग्रह मां अंगार मोती के दरबार में आए, यहां की एक परंपरा है कि महिलाएं पेट के बल लेट जाती हैं और बैगा उनके ऊपर चलते हैं ताकि उन्हें संतान की प्राप्ति हो सके। और महिलाएं इस भरोसे से लेटी रहती हैं, शायद इस प्रक्रिया से उन्हें सन्तान लाभ हो सकेगा। इस बार 350 से अधिक महिलाएं मंदिर के सामने नीबू, नारियल और अन्य पूजा सामान लेकर बाल खोलकर पेट के बल लेटी रहीं। इसे परण कहा जाता है।
बैगाओं की टोली इन महिलाओं के शरीर पर चलते हुए गुजरी। यहां की प्राचीन मान्यता है कि इस तरह महिलाओं के लेटने और उनके ऊपर से बैगाओं के गुजरने से माता की कृपा मिलती है और निसंतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है।
‘संतानहीनता के लिए सिर्फ महिलाएं जिम्मेदार नहीं’
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा सन्तान प्राप्तिके लिए किसी महिला के ऊपर यह विश्वास करके चलना कि उसे सन्तान लाभ होगा, पूरी तरह से गैर तार्किक, अवैज्ञानिक एवं अंधविश्वास है। ऐसे में महिलाओं को अंदरूनी चोटें भी लग सकती हैं। डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कि सन्तानहीनता के लिए सिर्फ महिलाएं ही जिम्मेदार नहीं होती, पुरुष भी सन्तानहीनता के लिए जिम्मेदार होते है। इसलिए सिर्फ महिलाओं को जिम्मेदार समझ कर बैगाओं के पैरों तले लेटने का तरीका अनुचित है। आज इस वैज्ञानिक युग में निसंतान दम्पतियों के लिए उपचार के अनेक आधुनिक साधन उपलब्ध है, जिनका लाभ उन्हें दिलाया जाना चाहिए। जिसके लिए प्रशासन पहल करें।
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा महिलाओं के ऊपर चलने की इस गलत और अमानवीय परम्परा को बंद करने की जरूरत है। वे इसके लिए मंदिर समिति के पदाधिकारियों। जिला कलेक्टर, महिला आयोग से चर्चा करेंगे तथा जनजागरण करेंगे।