Indian Railways: भारतीय रेलवे ने यात्रियों के लिए सफर को और अधिक स्वच्छ और आरामदायक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ट्रेनों में दी जाने वाली चादर और कंबलों की गुणवत्ता और स्वच्छता को लेकर यात्रियों की बढ़ती चिंताओं के बीच, रेलवे ने यूवी रोबोटिक सैनिटाइजेशन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग शुरू करने की घोषणा की है।
हर ट्रिप के बाद होगी कंबलों की यूवी सैनिटाइजेशन
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंचार अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय के अनुसार, अब जम्मू और डिब्रूगढ़ राजधानी ट्रेनों में कंबलों को हर राउंड ट्रिप के बाद यूवी रोबोटिक सैनिटाइजेशन प्रक्रिया से स्वच्छ किया जाएगा। यह प्रक्रिया कंबलों को बैक्टीरिया और कीटाणुओं से मुक्त करने के लिए अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है।
साफ-सुथरा लेनिन देने पर जोर
रेलवे ने जानकारी दी कि ट्रेन में उपयोग होने वाले लेनिन (चादर, कंबल, तकिए) की सफाई हर उपयोग के बाद विशेष रूप से मैकेनिकल लॉन्ड्री में की जाती है। यह प्रक्रिया पूरी निगरानी में सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से होती है और अधिकारियों द्वारा नियमित जांच भी की जाती है। सफाई और जांच के बाद ही यात्रियों को लेनिन प्रदान किया जाता है।
राजधानी और तेजस ट्रेनों में पायलट प्रोजेक्ट
उत्तर रेलवे ने बताया कि राजधानी और तेजस जैसी विशेष ट्रेनों में नए गुणवत्ता मानकों को पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू किया गया है। इसमें बेहतर फैब्रिक और लंबी-चौड़ी चादरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह बदलाव यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाएगा और उनकी संतुष्टि को बढ़ाएगा।
कंबलों की सफाई में बड़ा बदलाव
रेलवे ने बताया कि 2010 से पहले कंबलों की सफाई हर 2-3 महीने में की जाती थी। अब इसे महीने में दो बार साफ किया जा रहा है। जहां लॉजिस्टिक चुनौतियां हैं, वहां इसे महीने में एक बार साफ किया जाता है। साथ ही, हर 15 दिन में नेफ्थलीन वेपर हॉट एयर क्रिस्टलाइजेशन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो सफाई के लिए एक प्रभावी और समय-परीक्षित विधि है।
यात्रियों को मिलेगा बेहतर अनुभव
इस नई पहल से यात्रियों को पहले से अधिक स्वच्छ और आरामदायक यात्रा का अनुभव मिलेगा। रेलवे का यह कदम न केवल सफाई को सुनिश्चित करेगा, बल्कि यात्रियों की संतुष्टि और विश्वास को भी मजबूत करेगा।