रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार को दिव्यांगजन समुदाय की बढ़ती नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें आरोप है कि वह सार्वजनिक सेवा नियुक्तियों में विकलांगता कोटे के दुरुपयोग को रोकने में विफल रही है।

छत्तीसगढ़ दिव्यांगजन संघ का आरोप है कि 127 सरकारी अधिकारियों ने फर्जी विकलांगता प्रमाण-पत्रों का उपयोग करके नौकरी हासिल की है। संघ ने अधिकारियों की एक विस्तृत सूची भी प्रस्तुत की, लेकिन इस पर अब तक कोई जांच नहीं की गई है, जिससे राज्य की न्याय और जवाबदेही के प्रति प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
इस मामले में सबसे हाई-प्रोफाइल आरोप डिप्टी कलेक्टर संजय कुमार मरकाम पर हैं, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के विशेष कार्य अधिकारी (OSD) के रूप में कार्यरत हैं। मरकाम की विकलांगता कोटे के तहत नियुक्ति उनके श्रवण बाधित होने के दावे पर आधारित है।
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के उपाध्यक्ष राधाकृष्ण गोपाल ने कहा, हमने इस मामले में कई बार शिकायत दर्ज की है, लेकिन अभी तक कोई जांच नहीं की गई है। ऐसा लगता है कि उन्हें प्रभावशाली व्यक्तियों का संरक्षण प्राप्त है।
दिव्यांगजन संघ ने इस मुद्दे को 26 जुलाई और 26 अगस्त, 2024 को सार्वजनिक किया था। हालांकि उपमुख्यमंत्री अरुण साव, स्पीकर डॉ. रमन सिंह और अन्य अधिकारियों से हुई बैठकों के बावजूद, उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने एक महीने के भीतर समाधान का आश्वासन दिया था, जिसके बाद संघ ने 28 अगस्त को राज्यव्यापी मार्च टाल दिया था।
मगर आज तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे गुस्सा और निराशा बढ़ी है। सर्व आदिवासी समाज के राज्य सचिव विनोद नागवंशी ने कहा, इस नियुक्ति के खिलाफ सबूत होने के बावजूद, कार्रवाई न होना न्याय के प्रति उनकी उपेक्षा को दर्शाता है।
इसी के साथ दिव्यांग समुदाय ने छत्तीसगढ़ में दी जारही 500 रुपये की पेंशन और चुनावी राज्यों में 2,500 रुपये के वादे पर भी विरोध जताया है। दिव्यांगजन अपने अधिकारों और सम्मान के लिए 3 दिसंबर, 2024 को रायपुर में मुख्यमंत्री आवास तक दिव्यांगजन स्वाभिमान मार्च का आयोजन किया।
वहीं इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के अधिकारियों का कहना है कि सत्यापन प्रक्रिया के बाद यदि किसी को धोखाधड़ी का दोषी पाया जाता है, तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि विकलांगता प्रमाण-पत्रों के दुरुपयोग और फर्जी प्रमाण-पत्र का यह मामला केवल छत्तीसगढ़ का ही नहीं पूरे भारत में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। हाल ही महाराष्ट्र की पूर्व ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर का मामला भी सामने आ चुका है।