नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को महाकुंभ 2025 से जबरदस्त मजबूती मिली है। प्रयागराज में संपन्न इस ऐतिहासिक आयोजन ने राज्य की अर्थव्यवस्था में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि 13 जनवरी से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक चले इस मेले में 66.21 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य स्नान किया।

आर्थिक दृष्टि से ऐतिहासिक आयोजन

व्यापार जगत के विशेषज्ञों के अनुसार, महाकुंभ के दौरान वस्तुओं और सेवाओं के माध्यम से 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ, जिससे यह आयोजन देश के सबसे बड़े आर्थिक आयोजनों में शामिल हो गया। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के महासचिव और भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक, 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने और 2 लाख करोड़ रुपये के व्यापारिक लेन-देन की संभावना थी। लेकिन अप्रत्याशित भीड़ और वैश्विक आकर्षण के कारण यह आंकड़ा 66 करोड़ श्रद्धालुओं तक पहुंच गया और कारोबार 3 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया।

विभिन्न सेक्टरों में आर्थिक उछाल

महाकुंभ के प्रभाव से कई व्यावसायिक क्षेत्रों में जबरदस्त आर्थिक गतिविधियां देखने को मिलीं, जिनमें-

  • पर्यटन और आतिथ्य: होटल, गेस्टहाउस और धर्मशालाओं में बुकिंग फुल रही।
  • खाद्य और पेय पदार्थ: लाखों दुकानों ने तीर्थयात्रियों के लिए विशेष भोजन उपलब्ध कराया।
  • परिवहन और लॉजिस्टिक्स: रेलवे, बस, टैक्सी और हवाई यात्रा में भारी उछाल दर्ज किया गया।
  • धार्मिक पोशाक और हस्तशिल्प: पूजा सामग्री, परिधान, और स्मृति चिह्नों की बिक्री ने रिकॉर्ड तोड़ दिए।
  • स्थानीय बाजारों की रौनक: प्रयागराज समेत आसपास के 100-150 किलोमीटर के दायरे में स्थित शहरों और कस्बों में व्यापार फलफूला।

इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ को सफल बनाने के लिए 7,500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया। इस राशि से

  • 14 नए फ्लाईओवर
  • 6 अंडरपास
  • 200 से अधिक चौड़ी सड़कें
  • विस्तारित रेलवे स्टेशन
  • आधुनिक हवाई अड्डा टर्मिनल

जैसी बुनियादी सुविधाएं विकसित की गईं। इसके अतिरिक्त, मेले की व्यवस्था के लिए 1,500 करोड़ रुपये का अलग से प्रावधान किया गया था।