0 सरकारी स्कूल हो रहे जर्जर… जिम्मेदार आखिर कौन..?
बालोद। प्रदेश भर में आये दिन सरकारी स्कूलों में छत का प्लास्टर गिरने की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं। ताजा मामला बालोद जिले का है, जहां लोहारा विकासखंड के कोरगुड़ा गांव में स्थित प्राथमिक स्कूल में छत का प्लास्टर गिर गया। इस घटना में 5 स्कूली बच्चे घायल हो गए।

बच्चों के बीच मच गई चीख-पुकार
शासकीय प्राथमिक शाला कोरगुड़ा की शिक्षिका ने बताया कि सुबह सभी छात्र अपने कक्षा में बैठकर पढ़ाई कर रहे थे। इस बीच क्लासरूम के पिछले हिस्से में अचानक छत का प्लास्टर टूटकर गिर गया, जिससे क्लासरूम में बैठे छात्रों को चोट लग गई। एकाएक हुई इस घटना में 5 स्कूली बच्चे घायल हो गए। उनकी चीख पुकार से पूरा स्कूल गूंजने लगा। आनन फानन में निजी वाहन से बच्चों को जिला अस्पताल पहुंचाया गया। राहत की बात यह रही कि इस घटना में किसी भी बच्चे को गंभीर चोंट नहीं आई है, सभी घायल बच्चे कक्षा 5वीं के हैं।

बच्चों का हाल जानने पहुंची पूर्व मंत्री
इस घटना की जानकारी मिलने पर डौंडीलोहारा विधायक और पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया जिला अस्पताल पहुंची और घायल बच्चों का हाल चाल जाना। उन्होंने डॉक्टरों को घायल छात्रों के बेहतर इलाज के निर्देश भी दिये।
अनिला भेड़िया ने बताया मामले को लेकर बालोद कलेक्टर से बात की गई है और इस स्कूल बिल्डिंग की अच्छी से मरम्मत कराने तथा पूर्व में कराए गए काम की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई है.
लगातार हो रही हैं इस तरह की घटनाएं
प्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है। यहां आये दिन इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। कुछ दिनों पहले ही जांजगीर जिले के ग्राम पुटपुरा में स्कूल में पढ़ाई के दौरान स्कूल की छत का प्लास्टर का बड़ा हिस्सा छात्रों के उपर आ गिरा। इस घटना में 5 बच्चे घायल हो गये, वही एक छात्रा का सिर फट गया, उसे तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया। शिक्षक और अभिभावक इस घटना के बाद से काफी दहशत में है।

सवालों के घेरे में स्कूल जतन योजना
इस तरह की घटनाओं के लगातार होने के बाद एक बार फिर से स्कूल जतन योजना के तहत किये गए मरम्मत और ठेकेदारों द्वारा किये जाने वाले निर्माण कार्यों पर सवाल उठने लगे हैं। छत्तीसगढ़ शासन के शिक्षा विभाग द्वारा हर वर्ष स्कूल प्रबंधन को रखरखाव संबंधी कार्यों के लिए एक निश्चित रकम दी जाती है, मगर स्कूल के प्राचार्य इस तरह के कार्यों पर ध्यान नहीं देते। वहीं जहां भी नए स्कूल भवन बन रहे हैं उनकी गुणवत्ता को लेकर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी गंभीरता नहीं दिखाते। यही वजह है कि अधिकांश नए भवन कुछ ही सालों में जर्जर होने लगते हैं।

सरकार द्वारा सभी स्कूलों में समितियों का गठन भी किया जाता है, मगर ये भी केवल नाम की होती हैं। कायदे से समितियों को स्कूल की गतिविधियों की मॉनिटरिंग के अलावा भवनों की दशा की भी रिपोर्टिंग करनी चाहिए, मगर इसको लेकर केवल औपचारिकता ही निभाई जाती है। यही वजह है कि इस तरह की घटनाएं लगातार घट रही हैं।