गुवाहाटी। असम के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन National Democratic Front of Bodoland (NDFB) के सभी चार गुटों के 1615 उग्रवादियों ने गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया।

उग्रवादियों ने 178 हथियार और विस्फोटक भी जमा कराए। इस दौरान असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और वित्त मंत्री हेमंत बिस्व सरमा भी मौजूद रहे। सोनोवाल ने कहा- हम बोडो समझौते में कही बात को पूरा करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
असम को पूर्वोत्तर का बेहतर राज्य बनाना है। 23 जनवरी को असम के 8 प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने हथियार डाले थे। इस महीने की शुरुआत में एनडीएफबी ने सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौता किया था।
समझौते के मुताबिक, एनडीएफबी सरगना बी साओराईगवरा समेत सभी उग्रवादी हिंसक गतिविधियां रोकेंगे और सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होंगे। त्रिपक्षीय समझौते में एनडीएफबी, केंद्र सरकार और असम सरकार शामिल थे।
समझौते के मुताबिक, अगले तीन साल तक बोडोलैंड क्षेत्र के विकास से लिए 1500 करोड़ रुपए की वित्तीय पैकेज भी दिया जाना है। इसके साथ ही सरकार ने समझौते में उस इलाके में केंद्रीय विश्वविद्यालय समेत कई शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थान खोलने का वादा किया है।
एनडीएफबी ने 27 साल बाद तीसरा समझौता किया :
यह समझौता पिछले 27 सालों में हुआ तीसरा समझौता था। ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन और बोडो पीपुल्स एक्शन कमेटी के बीच 1993 में पहला और 2003 में दूसरे समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे बोडोलैंड पार्टनरशिप परिषद (बीटीसी) का गठन हुआ।
बीटीसी में निचले असम के जिले के चार जिले शामिल है। असम सरकार ने आश्वसान दिया है कि नए संधि बीटीसी क्षेत्र में रहने वाले गैर-बोडो लोगों के हित में बाधा नहीं डालेगी।
23 जनवरी को 644 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया था :
इससे पहले, 23 जनवरी को असम के 8 प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया था। सरेंडर करने वाले सदस्य यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा), नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया (एनडीएफबी), आरएनएलएफ, केएलओ, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी), नेशनल संथाल लिबरेशन आर्मी (एनएसएलए), आदिवासी ड्रैगन फाइटर (एडीएफ) और नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ बंगाली (एनएलएफबी) के थे।
असम सरकार ने उल्फा को बातचीत का न्यौता दिया था :
इससे पहले, हेमंत बिस्व सरमा ने उग्रवादी संगठन उल्फा-आई के लीडर परेश बरुआ को मंगलवार को बातचीत के लिए न्योता दिया था। असम और नॉर्थ ईस्ट में लंबे समय से हिंसक गतिविधियों में शामिल इस संगठन ने गणतंत्र दिवस के पर डिब्रूगढ़ में तीन जगहों पर धमाके किए थे। हालांकि, इनमें कोई हताहत नहीं हुआ था।
असम में 35 उग्रवादी संगठन सक्रिय :
आजादी के बाद से ही असम समेत पूरे पूर्वोत्तर में उग्रवाद की समस्या बनी रही है। असम की आबादी में 28त्न बोडो हैं। ये खुद को असम का मूल निवासी मानते हैं। ये लोग अरुणाचल से सटे हिस्से को बोडोलैंड घोषित करना चाहते हैं। बाहरी लोगों के आने से इनकी आजीविका और संस्कृति पर असर पड़ा है।
बोडो उग्रवादियों के संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) का एक धड़ा हिंसा फैला रहा है। दरअसल, लड़ाई अपने प्रभुत्व और क्षेत्र की है। एनडीएफबी का एक धड़ा अलग राज्य चाहता है ताकि आदिवासियों और मुस्लिमों से बोडो समुदाय के हितों की रक्षा की जा सके। असम में उल्फा, एनडीएफबी समेत 35 से ज्यादा उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं।
We are committed to fulfill the #BodoAgreement in letter and spirit. I urge the NDFB cadres who have joined the mainstream to dedicate themselves in making Assam the best in the #SEAsia region: CM @sarbanandsonwal pic.twitter.com/lhyuSRbRPp
— Chief Minister Assam (@CMOfficeAssam) January 30, 2020
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