केंद्रीय कैबिनेट का फैसला: इन्फ्रा और विकास कार्यों की फंडिंग के लिए बनेगा नया बैंक

टीआरपी डेस्क। केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास संबंधी परियोजनाओं के लिए फंड जुटाने के लिए एक राष्ट्रीय बैंक स्थापित करने का निर्णय लिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक प्रेस वार्ता में कैबिनेट के फैसलों के बारे में जानकारी दी। इस दौरान वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि बैंकों के निजीकरण से उनके कर्मचारियों के हितों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक प्रेसवार्ता में बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी दी। वित्त मंत्री ने बताया कि बैठक में फैसला लिया गया कि एक नया राष्ट्रीय बैंक बनाया जाएगा जो इन्फ्रास्ट्रक्चर (बुनियादी ढांचा) और विकास संबंधित कार्यों के लिए राशि जुटाने का काम करेगा।

खेल और युवा मामलों में सहयोग को लेकर समझौते (एमओयू) को अनुमति

कैबिनेट ने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में संचरण और वितरण को मजबूत करने के लिए 9129.32 करोड़ रुपये के संशोधित लागत अनुमान को भी मंजूरी दी। भारत और मालदीव के बीच खेल और युवा मामलों में सहयोग को लेकर समझौते (एमओयू) को अनुमति मिल गई।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट के दौरान हमने इस बात का उल्लेख किया था कि हम बुनियादी ढांचे और विकास संबंधी गतिविधियों के लिए एक राष्ट्रीय बैंक का गठन करेंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (डीएफआई) या विकास वित्त संस्थान के गठन की अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा कि डीएफआई की स्थापना के लिए विकास और वित्तीय उद्देश्य दोनों महत्वपूर्ण होंगे और मायने रखेंगे।

लंबी अवधि के लिए फंड जुटाने में करेगा मदद

वित्त मंत्री ने कहा कि डीएफआई लंबी अवधि के लिए फंड जुटाने में मदद करेगा, जिसमें बजट 2021 से प्रारंभिक रकम उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस साल करीब 20 हजार करोड़ रुपये का कैपिटल इन्फ्यूजन (पूंजी जोड़ना) होगा, इसमें प्रारंभिक अनुदान पांच हजार करोड़ रुपये का होगा। इसके साथ ही सीतारमण ने कहा कि अनुदान की अतिरिक्त वृद्धि पांच हजार करोड़ रुपये की सीमा के भीतर की जाएगी।

‘डीएफआई के लिए सिक्योरिटी जारी करने की योजना में सरकार’

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार डीएफआई के लिए कुछ सिक्योरिटीज जारी करने की योजना बना रही है, जिससे फंड की लागत कम होगी। यह सब डीएफआई को प्रारंभिक पूंजी का लाभ उठाने और विभिन्न स्रोतों से धन निकालने में मदद करेगा। सीतारमण ने कहा कि इससे भारत में बॉन्ड बाजार पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

‘बैंकों के निजीकरण से उनके कर्मचारियों के हित प्रभावित नहीं होंगे’

सीतारमण ने कहा कि वो बैंक जिनके निजीकरण की संभावना है, वह निजीकरण के बाद भी अपनी गतिविधियां जारी रख सकेंगे। वहां के स्टाफ के हितों की सुरक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि निजीकृत होने वाले बैंकों के कर्मचारियों के हितों की हर हालत में सुरक्षा की जाएगी, चाहे यह वेतन हो या पेंशन, सबकी देखभाल की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमने एक सार्वजनिक उद्यम नीति (पब्लिक एंटरप्राइज पॉलिसी) की घोषणा की है, जिसमें हमने चार ऐसे क्षेत्र चिह्नित किए हैं जहां सार्वजनिक क्षेत्र की उपस्थिति रहेगी। वित्त क्षेत्र भी इनमें से एक है। वित्त मंत्री ने कहा कि सभी बैंकों का निजीकरण नहीं होने जा रहा है।

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