कोरबा। कोरबा जिले में खनिज न्यास के फंड का जमकर दुरुपयोग हो रहा है। ताजा मामला मिनी राइस मिल को लेकर है। जिला भर में गौठान समूहों आर्थिक सक्षम बनाने के नाम पर छोटी- छोटी राइस मिलें पकड़ा दी गई। जिनकी खरीदी की कीमत ज्यादा बताई जा रही है। जिले के आदिवासी विधायक ननकीराम कंवर ने इस मामले की शिकायत करते हुए जांच की मांग की है।

कोरबा जिले में खनिज न्यास में कोयले के उत्पादन से हर वर्ष लगभग 600 करोड़ रुपए प्रशासन को मिलते हैं। इतनी बड़ी रकम का कुछ हिस्सा आसपास के जिलों को जाता है। शेष रकम यहां के विकास में किस तरह खर्च की जाए, इसके लिए तमाम बैठकें होती हैं। इनमें कुछ प्रस्ताव तो जनप्रनिधियों द्वारा रखे जाते हैं मगर अधिकांश प्रस्ताव अधिकारियों द्वारा पहले से ही तैयार किए गए होते हैं।

प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भाजपा के शासनकाल में डी एम एफ में हुए अरबों के कथित भ्रष्टाचार को देखते हुए इस फंड का केवल 20 प्रतिशत हिस्सा निर्माण कार्यों में खर्च करने का फरमान जारी किया था, मगर यही फरमान अधिकारियों की कमाई का जरिया बन गया।

अब तो डीएमएफ की अधिकांश रकम सप्लाई में निकल रही है, ऐसी सप्लाई, जिसका कोई हिसाब किताब नहीं होता है। हाल ही में ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जिसमें कृषि विभाग द्वारा नरवा गरवा घुरवा योजना के तहत तैयार किए गए गौठान के समूहों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के नाम पर मिनी राइस मिल देने का प्रस्ताव रखा। इसके लिए जिला प्रशासन ने कुल 1 करोड़ 35 लाख रुपए विभाग के सुपुर्द किए। इससे जो मिनी राइस मिल खरीदे गए हैं उसे जानकार लोग बेकार बता रहे हैं। क्योंकि इसकी कीमत कृषि विभाग द्वारा 1 लाख 5 हजार रुपए बताई जा रही है, जबकि ऐसी मिनी राइस मिल एक चौथाई कीमत में आ जाती हैं।

119 मिनी राइस मिल की हुई खरीदी

कोरबा जिले में कृषि विभाग के उपसंचालक जे.डी. शुक्ला ने बताया कि खनिज न्यास से कुल 119 मिनी राइस मिल की खरीदी की गई है। कुछ माह पूर्व मुख्यमंत्री के कोरबा प्रवास पर गौठान समूहों को मिनी राइस मील वितरण की शुरुआत की गई। इसके तहत अब तक 110 मशीनें गौठान समूहों को, वहीं दो महिला स्वसहायता समूहों को भी मशीन दिए गए।

जे.डी. शुक्ला, उपसंचालक ( कृषि विभाग )
जे.डी. शुक्ला, उपसंचालक ( कृषि विभाग )

उपसंचालक का दावा है कि मिनी राइस मिल से गौठान समूह संतुष्ट हैं और इससे उन्हें अच्छी आय हो जाएगी। उन्होंने बताया कि पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम महोरा में उन्हें समूह के लोगों ने बताया मिनी राइस मिल से 10 दिनों में उन्हें 3000 रूपए की आय हो गई। इस मिनी राइस मिल से धान की कुटाई के अलावा गेहूं और मसाले की पिसाई भी हो जाएगी।

दिन भर में 5 क्विंटल धान की कुटाई

कृषि विभाग के उप संचालक के बताए अनुसार टीआरपी न्यूज़ कोरबा से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम महोरा पहुंची, जहां विभाग द्वारा कृषि यंत्र सेवा केंद्र की स्थापना की गई है। इस केंद्र में खेतीबाड़ी से संबंधित कुछ मशीनें रखी गईं हैं, जो किराए पर किसानों को दिए जाते हैं। इसके अलावा यहां मिनी राइस मिल भी स्थापित किया गया है।

ग्राम महोरा में संचालित मिनी राइस मिल

इसे चलाने वाले नंद कुमार कंवर ने बताया कि इस मशीन से दिन भर में पांच क्विंटल धान की कुटाई हो पाती है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर दिन भर में मशीन को 10 घंटे चलाया जाता है, तो यह एक घंटे में केवल 50 किलो धान की कुटाई करेगी। कृषि विभाग से समूह को यह मशीन अनुदान में मिली है, जिसकी आय का उपयोग समूह के लोग गौठान में करेंगे।

बाजार में ऐसी ही मशीन मिलती है इतने रुपए में..!

उत्तरा देवी ( पंडरीपानी )

पोड़ी उपरोड़ा के ग्राम महोरा के पास ही पंडरीपानी गांव है, जहां उत्तरा देवी नामक महिला अपना निजी मिनी राइस मिल चलाती है। उत्तरा ने बताया कि उसने धान की कुटाई करने वाले इस मिनी राइस मिल की खरीदी 30 हजार रूपए में की है। अगर इसी मशीन के साथ आटा पीसने वाली मशीन भी हो तो उसकी कीमत क्या होगी? तब उत्तरा देवी का जवाब था 45 हजार रूपए।

उत्तरा देवी द्वारा संचालित मिनी राइस मिल

सोचने वाली बात यह है कि जो मशीन बाजार में 45 हजार रूपए में मिल सकती है, उसे कृषि विभाग ने 1 लाख 5 हजार रुपए में कैसे खरीदा? सामान की कीमत में इतना अंतर संभव ही नहीं है।

इसमें भी बीज निगम की भूमिका,विधायक ननकीराम कंवर ने की शिकायत

राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम, रायपुर

कोरबा जिले में मिनी राइस मिल की मशीनों की मनमानी कीमत पर खरीदी में भी राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की भूमिका नजर आती है। कृषि विभाग द्वारा इन मशीनों की खरीदी बीज विकास निगम के माध्यम से की गई है, कोरबा जिले के रामपुर विधानसभा के विधायक ननकी राम कंवर ने जिलाधीश को पत्र लिखकर इस मामले की शिकायत की है।

ननकी राम कंवर द्वारा की गई शिकायत

उन्होंने तो इस मशीन की कीमत 25 हजार रूपए बताई है, और उनके मुताबिक मशीनें 95 लाख 20 हजार रूपए ज्यादा कीमत देकर खरीदी गई हैं। ननकीराम कंवर ने इस मामले की जांच करके सप्ताह भर के अंदर अवगत कराने को कहा है।

साल भर धूल खाती रहीं मशीनें ?

बाजार की कीमत से काफी ज्यादा कीमत में खरीदी गई मिनी राइस मिल मशीनें तक कृषि विभाग के गोदाम में धूल खाती रही। इसकी वजह क्या थी, इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। हालांकि इस दौरान पुराने अधिकारी का तबादला हो गया, और जब नए उप संचालक जे. डी. शुक्ला यहां पदस्थ हुए तब जाकर मशीनें बांटी जा सकीं। बताते हैं कि पूर्व के अधिकारी ने बीज निगम द्वारा इतनी ज्यादा कीमत पर मशीनें खरीदे जाने के चलते मशीनों को बांटने से ही इंकार कर दिया था। अब देखना है कि भाजपा विधायक की मांग पर इस मामले की जांच में जिला प्रशासन गंभीरता दिखाता है या नहीं।

ननकी राम कंवर, विधायक, रामपुर ( कोरबा )

मिनी राइस मिल बमुश्किल 25000 रुपए का आता हैं। जिसे बीज निगम ने 1 लाख 5 हजार रुपए में खरीदा हैं। जिससे स्पष्ट है कि मिनी राइस मिल क्रय करने में भ्रष्टाचार किया गया है।अधिकारीयों ने जिला खनिज न्यास को कमाई का जरिया बना रखा है।
– ननकी राम कंवर, विधायक, रामपुर ( कोरबा )

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