मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
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टीआरपी डेस्क। पश्चिम बंगाल का बजट सत्र चल रहा है। इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सदन को बताया कि राज्य में ‘खेला होबे’ को लोगों का बहुत ही समर्थन मिला है। इसलिए अब पश्चिम बंगाल में खेला होबे दिवस मनाया जाएगा। गौरतलब है कि सरकार अपने काम को गिनाने के लिए नारे का सहारा लेती है। इसी तरह का एक नारा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान खूब गूंजा और चर्चा में रहा। 

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यह नारा सत्तारूढ़ तृणमू कांग्रेस की तरफ से दिया गया, ‘खेला होबे’ यानी खेल होगा। टीएमसी और खासकर ममता बनर्जी इस नारे का चुनावी रैलियों में अक्सर इस्तेमाल करती थीं। उनका निशाना सीधे तौर पर बीजेपी की ओर था। इसमें कोई शक नहीं है कि इस चुनावी नारे ने टीएमसी के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया।

आखिर क्या है, ‘खेला होबे’?

‘खेला होबे’ एक गीत है। इसको लिखा है तृणमूल कांग्रेस के युवा नेता देबाग्शु भट्टाचार्य ने। देबाग्शु पेशे से सिविल इंजीनियर हैं और टीएमसी के प्रचारक हैं। दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच खूब शब्दबाण छोड़े गए। राममंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद बीजेपी ने बंगाल में ‘जयश्री राम’ के नारे बुलंद किए। इसके साथ ही पीएम मोदी से लेकर सभी नेता विकास का नारा लगाया।

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बीजेपी ने कहा कि ममता बनर्जी ने अपने शासनकाल में केवल भ्रष्टाचार, कुशासन का खेल खेला। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी के जवाब में ‘खेला होबे’ का नारा उछाला। इस मतलब ‘अब खेल होगा’ हुआ। अब पूरे बंगाल में चुनाव भर इसी नारे के इर्दगिर्द ही मुद्दा घूमता रहा। बीजेपी बोलती विकास होबे तो ममता बनर्जी के लोग कहते खेला होबे। यह इतना प्रचलित हुआ कि खेला होबे एक प्रतीक नारा बन गया।

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