Pandit Deendayal Upadhyay Death Anniversary : मौत की गुत्थी अब तक नहीं सुलझी, तीनों आरोपी हो गए थे बरी
Pandit Deendayal Upadhyay Death Anniversary : मौत की गुत्थी अब तक नहीं सुलझी, तीनों आरोपी हो गए थे बरी

नेशनल डेस्क। एकात्म मानववाद के प्रणेता और जनसंघ के सहसंस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत की गुत्थी आज तक नहीं सुलझ सकी है। आज तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है कि उनकी मौत प्राकृतिक थी या फिर उनकी हत्या हुई। हालांकि इस मामले की जांच भी कराई गई थी मगर आज तक इसका खुलासा नहीं हो सका। पंडित दीनदयाल उपाध्याय चंदौली जिले के तत्कालीन मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर 11 फरवरी, 1968 को मृत पाए गए थे।

अब उनकी स्मृतियों को सहेजने के लिए इस स्टेशन का नाम उन्हीं के नाम पर कर दिया गया है। बनारस कचहरी से भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की यादें जुड़ी हुई हैं क्योंकि यहीं पर उनके हत्याकांड का मुकदमा चला था।

जनसंघ का आरोप

दरअसल भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु 10-11 फरवरी 1968 के बीच मुगलसराय स्टेशन यार्ड में हुई थी। वे पठानकोट एक्सप्रेस से लखनऊ से पटना जा रहे थे। इस दौरान तत्कालीन सरकार का मानना था कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत प्राकृतिक हुई है जबकि जनसंघ का आरोप था कि उनकी हत्या की गई है।

आज तक नहीं खुल सका मौत का रहस्य

इस मामले की जांच भी कराई गई थी मगर उनकी मौत का रहस्य आज तक नहीं खुल सका। मुगलसराय रेलवे पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक 11 फरवरी 1968 को सुबह तकरीबन 3:30 बजे उनका शव मिला था। इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।

सुनवाई और सबूतों के आधार पर आरोपियों को कर दिया गया था बरी

बाद में बनारस कचहरी में तीन आरोपियों के खिलाफ उनकी हत्या का मुकदमा चला था। इस मामले में बचाव पक्ष की पैरवी उस समय के चर्चित वकील चरणदास सेठ ने की थी। सेठ ने 435 पेज की बहस तैयार की थी। बाद में अदालत की ओर से केस की सुनवाई और सबूतों के आधार पर तीनों आरोपी बरी कर दिए गए थे।

कैसे-कैसे बदली जांच

सामान्य स्थिति में मुगलसराय पुलिस द्वारा घटना की जांच को शुरू कर दिया गया था, लेकिन अगले दिन 12 फरवरी को मामले को यूपी सीआईडी के हाथों में दे दिया गया। गृहमंत्री ने 14 फरवरी को सदन में सीबीआई जांच की घोषणा की। जांच के परिणामस्वरूप तीन मई 1968 को चार्जशीट प्रस्तुत की गई। सीबीआई ने जांच के बाद यह माना कि हत्या के पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं था।

आयोग के नतीजों पर असहमति

उपाध्याय की मौत के बाद जनसंघ के नेताओं के बीच भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था बाद में विभिन्न दलों के 70 सांसदों की मांग पर इस मामले की जांच के लिए जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ का एक सदस्य आयोग भी बनाया गया था मगर इस आयोग ने भी सीबीआई जांच के नतीजों को ही सही बताया था।

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