रायपुर। TRP की खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) के तहत काम कर रही हेल्थ इंशोरेंस कंपनी को शासन ने नोटिस जारी कर दिया है। प्रदेश में इस योजना के तहत काम कर रहे 66 अयोग्य डॉक्टरों की भर्ती रेलिगेयर इंशोरेंस कंपनी ने की थी। इंशोरेंस कंपनी ने एमबीबीएस डॉक्टरों की जगह रशिया के अयोग्य डॉक्टरों को छत्तीसगढ़ के अस्पतालों की जिम्मेदारी दे दी थी।

24 जुलाई को टीआरपी ने रशियन फेलियर डॉक्टरों को आयुष्मान भारत योजना में दी गई बड़ी जिम्मेदारी! के शीर्षक से हेल्थ इंशोरेंस कंपनी रेलिगेयर द्वारा की जा रही करोड़ों की हेरा-फेरी का मामला सामने लाया था। जिसके बाद से ही स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और जांच प्रक्रिया शुरू कर दी थी

स्वास्थ्य विभाग रेलिगेयर कंपनी के 50 करोड़ रुपए का भुगतान रोक सकती है। इस मामले की शिकायत सोशल एवं आरटीआई एक्टिविस्ट उचित शर्मा (Social & RTI Activist Uchit Sharma) ने की थी। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए टेंडर निरस्त करने की कार्रवाई की है।

दरअसल छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat Scheme) की आड़ में हेल्थ इंशोरेंस कंपनी (Health insurance company) करोड़ों के वारे न्यारे कर रही थी। कंपनी ने कॉस्ट कटिंग करते हुए रशियन फेलियर डॉक्टरों की नियुक्ति की थी। जिससे शासन को इस योजना के तहत एक साल में करोड़ों का नुकसान हुआ। इस मामले को टीआरपी ने प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हेल्थ इंशोरेंस कंपनी को कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया गया है।

कुल 66 मेडिकल ऑफिसर किए थे नियुक्त

अगर इंशोरेंस कंपनी (Health insurance company) भारत में पास हुए किसी एमबीबीएस डॉक्टर (MBBS Doctor) को जिला चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त करती है तो उन्हों लाखों का पैकेज बतौर वेतन देना पड़ता। मगर युक्रेन से पास आउट डॉक्टर कम वेतन में ही मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम कर रहे हैं। वर्तमान में कुल 61 मेडिकल ऑफिसर हैं। जिनमें 33 एमबीबीएस, 15 बीडीएस व 3 बीएएमएस हैं। अधिकांश डॉक्टरों ने एमबीबीएस की डिग्री युक्रेन रशिया से पूरी की है। आज तक ये एमसीआई की परीक्षा भी पास नहीं कर सके हैं।

कहां हो रहा था खेल

आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) के तहत बनाए गए एमओयू (MOU) के अनुसार राज्य में प्रत्येक 15 प्राइवेट अस्पताल पर एक जिला चिकित्सा अधिकारी की नियुक्ति की जाना था। जिनका एमबीबीएस पास होना आवश्यक है। जो कि राज्य में इस योजना के संचालन हेतु जिम्मेदार होंगे साथ ही उनपर मेडिकल ऑडिट (Medical Audit) की भी जिम्मेदारी थी। मगर इंशोरेंस कंपनी ने ऐसा एमओयू तैयार किया जिसमें केवल एमबीबीएस पास का ही जिक्र है। एमओयू में एमसीआई (MCI) के नियमों का कहीं भी उल्लेख नहीं है। जिसके तहत प्रदेश के जिलों में एमसीआई की परीक्षा में फेल हुए डॉक्टरों की नियुक्ति कर दी जिन्हें देश में डॉक्टर की मान्यता नहीं दी जाती। भारतीय चिकित्सा नियमों के तहत उन्हें एमसीआई से मान्य होने के लिए परीक्षा पास करनी होगी। तभी वे चिकित्सक कहलाने हेतु मान्य हैं।

इंशोरेंस लॉबी है सक्रिय

प्रदेश में इंशोरेंस लॉबी काफी समय से छत्तीसगढ़ सरकार को लाखों का नुकसान पहुंचा रही है। प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना का संचालन 2018 से किया जा रहा है। तब से राज्य में इस योजना के नोडल अधिकारी विजेंद्र कटरे (Vijendra Katre) हैं। जब से प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना का संचालन 2018 से जारी है। तब से इसकी जिम्मेदारी भी विजेंद्र कटरे को ही दे दी गई। ये वहीं विजेंद्र कटरे हैं जिनके कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए थे। इंशोरेंस कंपनी के साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी मिलकर इस भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं। जिसके चलते महज एक साल में ही राज्य सरकार को 9 करोड़ का नुकसान हुआ है।

स्वास्थ्य विभाग अधिकारी का ही करवा दिया तबादला

स्वास्थ्य विभाग की पूर्व संचालक शिखा राजपूत ने स्वयं इस मामले की जांच की तो इंशोरेंस लॉबी ने उन्हें ही घेर लिया। जिसके बाद उनका तबादला बेमेतरा कलेक्टर के रुप में कर दिया गया। अब उनपर ही विभागीय जांच बैठा दी गई है। वर्तमान में पुनः स्वास्थ्य बीमा योजना की जिम्मेदारी विजेंद्र कटरे की ही है। मगर टीआरपी की खबर के बाद आनन-फानन में इंशोरेंस कंपनी की कार्यशैली की जांच की गई और नोटिस जारी कर दिया गया है।

 

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