रायपुर।  केंद्र की बीजेपी सरकार ने वंदे मातरम का उर्दू में तर्जुमा(अनुवाद)(Vande Mataram’s Translation in Urdu) करने और शाहबानों मामले (Shahbano’s case) में राजीव गांधी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले मंत्री आरिफ मोहम्मद को केरल का राज्यपाल (Governor of Kerala ) बना दिया गया। ठीक उसी तरह छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)में अजीत जोगी ( Ajit jogi) की जाति प्रमाण पत्र मामले का मुकदमा लड़ रहे संत कुमार नेताम (Sant Kumar Netam ) को भी बीजेपी (BJP) कोई अहम पद दे सकती है। ऐसा दावा हम नहीं करते हैं, मगर बीजेपी (BJP) के अंदरखाने के जानकारों का ऐसा कहना है। पेशे से इंजीनियर संतकुमार नेताम विगत 18 वर्षों से छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी के खिलाफ मुकदमा लड़ रहे हैं।

जमकर किए गए थे प्रताड़ित:

जानकार बताते हैं कि जब कांग्रेस के कार्यकाल में अभियंता संतकुमार ने इस मामले को उठाया था, तो उनको काफी प्रताड़ित किया गया था। उनको और उनके परिजनों को तरह-तरह की धमकियां मिली थीं। लगातार मिलने वाली गुमनाम धमकियों से पूरा परिवार सकते में आ गया था।

साय हुए थे सहाय:

बताया जाता है कि जब लोगों की धमकियों से पूरा परिवार सांसत में था, तो उस समय नंदकुमार साह इस परिवार पर सहाय हुए थे। उन्होंने न सिर्फ परिवार को संबल दिया बल्कि संतकुमार को अपने जेल रोड स्थित आवास पर तब तक रखा जब तक कि छत्तीसगढ़ से अजीत जोगी सरकार की विदाई नहीं हो गई।

नतीजे पर पहुंची नेताम की लड़ाई :

18 साल की कठिन लड़ाई के बाद अब जाकर इस मामले में उसे न्याय मिला। जानकारों का मानना है कि अगर अजीत जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त हुई, तो उनकी विधायकी तो समाप्त हो जाएगी। इस में दोषी पाए जाने पर रिकरी का भी प्रावधान है। ऐसे में अब भारतीय जनता पार्टी संतकुमार नेताम को कोई अहम पद दे सकती है। ऐसी खबरें बीजेपी के अंदरखाने से निकल कर आ रही हैं।

जब सुननी पड़ी थी फटकार:

संतकुमार नेताम ने सार्वजनिक बयान दिया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निजी स्टाफ में रहे ओपी गुप्ता ने उन्हें बुलाकर डांटा और फिर एक पैकेट थमा दिया और संतकुमार ने मौन धारण कर लिया था। उसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। अब जब जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है, तो एक बार फिर संतकुमार नेताम सुर्खियों में आ गए हैं। देखना यही होगा कि उनको बीजेपी (BJP) कौन सा पद देती है?

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