नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या के दोषी अक्षय

की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। तीन सदस्यीय बेंच ने बुधवार

को उसकी पुनर्विचार याचिका सुनवाई के बाद खारिज कर दी। अक्षय

के वकील एपी सिंह ने सुनवाई के दौरान केस की जांच और पीडि़त

के बयानों पर सवाल उठाए। करीब 30 मिनट की दलीलों में सिंह

ने कहा कि पीडि़ता ने आखिरी बयान में अक्षय या किसी दोषी का

नाम नहीं लिया। पीडि़ता की मौत ड्रग ओवरडोज से हुई थी।

मीडिया और राजनीतिक दबाव में अक्षय को सजा सुनाई गई।

वह निर्दोष और गरीब है। भारत अहिंसा का देश है और फांसी

मानवाधिकार का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप

ठोस व कानूनी तथ्य रखें, बताएं कि हमारे फैसले में क्या कमी

थी और क्यों पुनर्विचार करना चाहिए।

निर्भया मामले में दोषी अक्षय। (फाइल फोटो)

दोषी अक्षय के वकील ने कहा कि  पीडि़ता का दोस्त मीडिया

से पैसे लेकर इंटरव्यू दे रहा था। इससे केस प्रभावित हुआ।

वह विश्वसनीय गवाह नहीं था। इस पर जस्टिस भूषण ने

कहा कि इसका इस मामले से क्या संबंध है। वकील ने कहा-

वह लड़का मामले में इकलौता चश्मदीद गवाह है। उसकी

गवाही मायने रखती है। वकील ने रेयान इंटरनेशनल स्कूल

के छात्र की हत्या का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा- इस

मामले मैं बेकसूर को फंसा दिया था। अगर सीबीआई जांच

नहीं होती तो सच सामने नहीं आता। इसलिए हमने इस

केस मे भी सीबीआई जांच की मांग की थी।

 राक्षसों को पैदा कर ईश्वर शर्मसार होता

होगा : मेहता

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पुनर्विचार याचिका

का विरोध किया। मेहता ने कहा- ट्रायल कोर्ट ने सभी

दलीलों और सबूतों को परखने के बाद फांसी सुनाई थी,

जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना है। यह अपराध ऐसा

गंभीर है जिसे भगवान भी माफ नहीं कर सकता, जिसमें

सिर्फ फांसी की सजा ही हो सकती है। ऐसे राक्षसों को पैदा

कर ईश्वर भी शर्मसार होता होगा। इनसे कोई रहम नहीं

होनी चाहिए।

विनय ने दया याचिका वापस लेने की मांग की

16 दिसंबर 2012 में हुए निर्भया दुष्कर्म और हत्या

मामले में 2013 में निचली अदालत ने अक्षय, मुकेश,

पवन और विनय को मौत की सजा सुनाई थी। एक अन्य

दोषी राम सिंह ने कथित तौर पर तिहाड़ जेल में खुदकुशी

कर ली थी। एक दोषी नाबालिग का केस जुवेनाइल कोर्ट

में चल रहा है। 2017 में मुकेश, पवन और विनय ने फैसले

पर पुनर्विचार याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने

पिछले साल खारिज कर दिया था। दोषी विनय ने राष्ट्रपति

के पास भेजी दया याचिका वापस लेने की मांग की है।

उसने कहा था कि दया याचिका पर मेरे हस्ताक्षर नहीं हैं।

तिहाड़ ने शॉर्ट नोटिस पर जल्लाद मुहैया

कराने को कहा

दिल्ली की तिहाड़ जेल ने उत्तर प्रदेश से दो जल्लाद

मुहैया करवाने के लिए कहा है। उत्तर प्रदेश के एडीजी

(जेल) आनंद कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है

कि हमें 9 दिसंबर (सोमवार) को फैक्स के माध्यम से

तिहाड़ जेल से एक पत्र मिला है, जिसमें यूपी के दो

जल्लादों की सेवाएं मांगी गई हैं, क्योंकि उनके

( तिहाड़ जेल) पास जल्लाद नहीं हैं। पत्र में दोषियों

को फांसी दिए जाने का कोई जिक्र नहीं किया गया है,

लेकिन कहा गया है कि इसकी जरूरत पड़ सकती है।

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