7 जनवरी 1723 को गुरुवार, अमावस्या और धनु राशि में 6 ग्रहों के साथ हुआ था सूर्य ग्रहण

टीआरपी डेस्क। 26 दिसंबर को 296 साल बाद एक दुर्लभ संयोग होने वाला है। इस दिन खंडग्रास
सूर्य ग्रहण होगा, जो शुभफल वाला सूर्य ग्रहण होगा। इससे पहले 7 जनवरी 1723 को गुरुवार, अमावस्या
और धनु राशि में 6 ग्रहों के साथ सूर्य ग्रहण हुआ था।
इस बार यह दुर्लभ ग्रह-स्थिति में हो रहा है। वृद्धि योग और मूल नक्षत्र में हो रहे इस ग्रहण के दौरान
गुरुवार और अमावस्या का संयोग बन रहा है। वहीं, धनु राशि में 6 ग्रह एक साथ हैं। ग्रहों की ऐसी
स्थिति तीन सदी पहले बनी थी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉ. गणेश प्रसाद मिश्रा बताते हैं कि
ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण 296 साल पहले 7 जनवरी 1723 को हुआ था। उसके बाद ग्रह-नक्षत्रों की वैसी
ही स्थिति 26 दिसंबर को रहेगी। ग्रहण की अवधि 3.30 घंटे की रहेगी।
सूर्य के साथ धनु राशि में कौन-से ग्रह :
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश प्रसाद मिश्रा के अनुसार, 26 दिसंबर को मूल नक्षत्र
और वृद्धि योग में सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। 296 साल बाद दुर्लभ योग बन रहे हैं। इस दिन मूल नक्षत्र में
4 ग्रह रहेंगे। वहीं, धनु राशि में सूर्य, चंद्रमा, बुध, बृहस्पति, शनि और केतु रहेंगे। इन 6 ग्रहों पर राहु की
पूर्ण दृष्टि भी रहेगी। इनमें 2 ग्रह यानी बुध और गुरु अस्त रहेंगे। इन ग्रहों के एक राशि पहले (वृश्चिक में)
मंगल और एक राशि आगे (मकर में) शुक्र स्थित है। इस कारण द्विद्र्वादश योग बनने से ये 2 ग्रह भी इससे
प्रभावित होंगे। इस तरह दुर्लभ सूर्य ग्रहण में 7 ग्रहों का विशेष योग बन रहा है। इस तरह पूरे 9 ग्रह इस
ग्रहण से प्रभावित रहेंगे।
गुरुवार को अमावस्या का संयोग :
ज्योतिष के संहिता स्कंध के अनुसार, शुभ दिनों में पडऩे वाली अमावस्या शुभ फल देने वाली होती है।
26 दिसंबर, गुरुवार को पौष माह की अमावस्या का संयोग भी 3 साल बाद बन रहा है। इससे पहले
29 दिसंबर 2016 को गुरुवार और अमावस्या थी। इसके साथ ही 296 साल पहले हुए सूर्य ग्रहण पर
भी गुरुवार और अमावस्या का संयोग बना था। इस संयोग के प्रभाव से ग्रहों की अशुभ स्थिति का असर
कम हो जाता है। इससे अच्छी आर्थिक और राजनीतिक स्थितियां बनती हैं।
ग्रहण का फल :
राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्णकुमार भार्गव के अनुसार ग्रहण के फल के
लिए पर्व स्वामी का विचार किया जाना चाहिए। इसके अनुसार इस ग्रहण के स्वामी अग्नि है। इसके
फलस्वरूप फसल और धन प्राप्ति में वृद्धि होगी। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। लोगों के भय और
रोगों का नाश होगा और देश के बड़े पदों की जिम्मेदारियां पूरी होंगी। देश के महत्वपूर्ण कार्य भी सिद्ध
होंगे। वहीं ग्रहण का स्पर्श पूर्व दिशा में होने से पृथ्वी पर वर्षा अधिक होगी एवं अशुभ फल के रूप में
राजपुत्रों को कष्ट तथा स्त्रियों को पीड़ा हो सकती है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, ग्रहण काल में नक्षत्र मण्डल का विचार करें तो ग्रहण
के समय वारुण मण्डल का नक्षत्र होगा। इसके प्रभाव से वर्षा अधिक होती होगी। अन्न-भंडार की वृद्धि होगी।
वृक्षों में फल-फूल अधिक रहेंगे तथा गायों के घी-दूध आदि की वृद्धि होगी। देश की जनता में आनन्द
तथा राजाओं में शान्ति रहेगी। वारुण मण्डल का फल पांच माह के भीतर मिलेगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य
पं प्रवीण द्विवेदी के अनुसार धनु राशि में ग्रहण होने से सभी औषधियों तथा घास-फूल और फसलों में तेजी
हो सकती है। पौष मास में ग्रहण होने से देश में अच्छी बारिश, अन्न-भंडार और सुख बढ़ेगा। रस और ऊर्जा
देने वाले तरल पदार्थों में वृद्धि होने के भी योग बन रहे हैं। पं. द्विवेदी के अनुसार, छह महीने के अन्दर ग्रहण
फल प्राप्त होगा।
4 राशियों के लिए शुभ और अन्य 8 राशियों के लिए अशुभ :
ज्योतिषाचार्य पं प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार 12 में से 4 राशियों के लिए ये सूर्य ग्रहण शुभ फल देने वाला रहेगा,
वहीं अन्य 8 राशियों के लिए ये अशुभ रहेगा।
शुभ : कर्क, तुला, कुंभ और मीन राशि वालों को इस ग्रहण के प्रभाव से सुख, सफलता, विजय, आरोग्य
और धन लाभ प्राप्त होगा। पद-प्रतिष्ठा भी मिलेगी।
अशुभ : मेष, वृष, मिथुन, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु और मकर राशि वालों के लिए हानिकारक समय रहेगा।
इन 8 राशि वालों को धन हानि हो सकती है। काम बिगड़ सकते हैं। मानसिक और शारीरिक परेशानियां
भी होने की आशंका है।
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