कंपनी को लाभ पहुंचाने ताक पर रखे नियम,मरीजों की जान से ये कैसा खिलवाड़

रायपुर। दूर दराज के मरीजों को आपात स्थित में अस्पताल तक पहुंचाने में संजीवनी साबित होने वाली 108 एम्बुलेंस के टेंडर में प्रदेश की अफसरशाही किस कदर लापरवाह है इसका खुलासा 108 एम्बुलेंस के टेंडर में देखा जा सकता है। जिसमें कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में तो बदलाव किए ही गए बल्कि विभाग के अफसरों ने शव वाहनों को Advanced Life Support System Ambulance मानकर निविदा को फाइनल भी कर दिया।

इस मामले की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट उचित शर्मा ने ईओडब्ल्यू में की है। जिसमें सिलसिलेवार आरोपों की जांच कर मामला दर्ज करने की मांग की गई है।
उचित शर्मा ने अपनी शिकायत में कहा है कि कंपनी को एंबुलेंस का टेंडर सभी नियमों को दरकिनार कर दिया गया है। कंपनी को टेंडर प्रदान करने के लिए संबंधित अधिकारियों ने नियमों में संशोधन तक कर डाला।

शिकायत में उन्होंने इन बिन्दुओं पर सवाल उठाए हैं-

1. टेंडर की शर्तों के अनुसार न्यूनतम 100 एम्बुलेंस वाहन चलाने का अनुभव मांगा गया था जिसमें की 10% Advance Life Support System एंबूलेंस और 90% Basic Life Support System का अनुभव होना था लेकिन, L1 ने जो अनुभव दिया है उसमें शव वाहन भी हैं, जिसे एम्बुलेंस में नहीं गिना जा सकता क्योंकि उसमें किसी भी प्रकार के जीवन रक्षित उपकरण नहीं होते।

2. 200 Trained EMT भी निविदा की शर्तों में था किंतु L1 ने स्किल इंडिया का workorder की कॉपी प्रदान की है. इसमें trained EMT’s के ट्रेनिंग के पश्चात होने वाली परीक्षा में उत्तीर्ण करने व उन्हें रोज़गार मिलने सम्बन्धी कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। चूंकि L1 विगत कई वर्षों में बिहार राज्य में ये कार्य कर रही है तो उन्हें अपने वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों सम्बन्धी कोई दस्तावेज़ भी नहीं प्रदान किया गया है।

3. मूल RFP में कुल Turnover 45 करोड़(विगत 3 वर्षों में प्रतिवर्ष) मांगा गया था जो कि पूरी अम्बुलेट्री सेवा से होनी थी जिसमें की संशोधन करके इसे 10% (4.5Cr) कर दिया गया। इस संशोधन का लाभ केवल L1 को ही मिलना था जो कि मिला।

4. मूल RFP की शर्तों के अनुसार किसी एक पार्टनर का turnover 45 Cr होना चाहिए था किंतु उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार सभी साझेदारों को मिलाकर 45 करोड़ होता है, ऐसा करते समय नियमों की परवाह नहीं की गई ऐसा प्रतीत होता है।

5. जिस अनुभव को आधार मानकर L1 को यह कार्य मिला है उसके साझेदारों में पशुपतिनाथ भी है किंतु वर्तमान छत्तीसगढ़ के agreement में उनका कहीं उल्लेख नहीं मिलता ऐसे में यह अनुभव निराधार प्रतीत होता है।

6. प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों का प्रमाणीकरण विभाग द्वारा नहीं किया गया है।

7. निविदा अगस्त के महीने में प्रकाशित हुई किंतु अनुभव व कुछ अन्य दस्तावेज मार्च के महीने में लिए गए हैं जो कि इस विषय में L1 से विभाग की संलिप्तता उजागर करते हैं।

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