टीआरपी न्यूज/रायपुर/ नई दिल्‍ली। देश के तीन राज्‍यों के लिए भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को अपने नए अध्‍यक्षों के नाम का ऐलान किया। भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने मध्‍यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष विष्‍णु दत्‍त शर्मा को नियुक्‍त किया। साथ ही केरल के लिए के सुरेंद्रन को पार्टी का अध्‍यक्ष चुना गया। वहीं सिक्‍किम के लिए पार्टी अध्‍यक्ष के तौर पर दल बहादुर चौहान की नियुक्‍ति की गई। जिसके बाद छत्तीसगढ़ में भी भाजपा संगठन में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।

दरअसल पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों और हिन्दी व आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में पार्टी को अपने वोट बैंक बचाने के लिए नई सिरे से पहल करने की शुरुआत कर दी है। रविवार को झारखंड में बाबूलाल मरांड़ी की भाजपा में वापसी का दौर शुरू हो जाएगा। ​इसके बाद छत्तीसगढ़ की बारी है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव व स्थानीय निकायों के चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। यहीं वजह है कि प्रदेश में भाजपा की कमान किसी तेज तर्रार नेता को सौंपी जा सकती है।

पुराने संगठन के आभा मंडल से मुक्त चेहरे का मिल ​सकता है मौका :

हालांकि प्रदेश संगठन से जुड़े लोग इस मामले में राष्ट्रीय नेतृत्व के किसी अप्रत्याशीत फैसले की संभावना से भी इन्कार नहीं कर रहे हैं। तर्क यह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लंबे समय तक छत्तीसगढ़ के प्रभारी रहे हैं, ऐसे में यहां के संगठन के धड़ों और नब्ज को अच्छे से जानते हैं।

सूत्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी प्रदेश भाजपा की कमान सांसदों में से ही किसी सौंपी जा सकती है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए करीब आधा दर्जन से अधिक नेताओं के नाम चर्चा में है। इसमें राजनांदगांव के सांसद संतोष पाण्डेय, राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री विष्णुदेव मौजूदा अध्यक्ष विक्रम उसेंडी, दुर्ग सांसद विजय बघेल का नाम दौड़ में शामिल है। वहीं ओबीसी वर्ग से विजय बघेल और नारायण चंदेल का नाम आगे किया जा रहा है।

आदिवासी वर्ग से संभावना अधिक :

अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी आदिवासी नेता को भी सौंपे जाने की संभावना अधिक है। इसके पीछे तर्क यह है कि नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी ओबीसी वर्ग को दी गई है। वहीं, कांग्रेस ने प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी एसटी को सौंपी है। राज्य में अब तक ज्यादातर ऐसा ही होता आया है कि दोनों दलों का नेतृत्व एक ही वर्ग के पास रहा है। इससे पहले दोनों दलों की कमान ओबीसी के पास थी। अब पार्टी का फोकस आदिवासी समाज को सांधने की हो सकती है। ऐसे में आदिवासी चेहरे को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी जा सकती है।

आलाकमान की नजर में इनकी दावेदारी पुख्ता :

राम विचार नेताम (एसटी) :

भाजपा के अनुसूचित जनजति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य हैं। राज्य में मंत्री भी रह चुके हैं। तेज तर्रार नेता की छवि है।

 

विष्णुदेव साय (एसटी) :

पहले प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। 1999 से 2014 तक रायगढ़ से सांसद रहे। केंद्र में राज्यमंत्री रहे। 2019 के चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया।

संतोष पांडेय (सामान्य) :

 

राजनांदगांव सीट से पहली बार सांसद चुने गए हैं। पार्टी संगठन में अहम भूमिका रखते हैं। इन्हें संघ की भी पसंद माना जा रहा है।

चौंका सकते हैं अरुण साव


अस्र्ण साव (ओबीसी) : बिलासपुर से पहली बार सांसद बने हैं। संघ की पृष्ठभूमि के कारण घर बैठे लोकसभा का टिकट मिला था। इन्हें भी संघ की पसंद माना जा सकता है।

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