TRP Impact : आखिर कैसे हो गई खराब पेपर की खरीदी, विभागीय खरीदी के खिलाफ खुद पाठ्य पुस्तक निगम के अधिकारी करेंगे जांच

रायपुर। पाठ्य पुस्तक निगम छत्तीसगढ़ का एक और कारनामा सामने आया है। इस बार निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने 7 करोड़ रुपए खर्च कर पुस्तकों के कवर पेज के लिए 900 मीट्रिक टन गुणवत्ताहीन पेपर की खरीदी कर डाली है। इसका खुलासा तब हुआ जब ये कागज छपाई के लिए वेंडर्स के पास पहुंचे। पेपर की खराब क्वालिटी के कारण छपाई करने में समस्या आने लगी। जिसके बाद प्रिंटर्स ने छपाई से इंकार करते हुए अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।

क्या है मामला

पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा हर साल छात्रों के लिए पुस्तकों की छपाई कराता है। इसके लिए किताबों के कवर पेज की खरीदी भी की जाती है। इस जुलाई 2021 में किताबों की छापाई के लिए निगम द्वारा 900 मीट्रिक टन कवर पेज की खरीदी के लिए टेंडर निकाला था। बता दें कि निगम द्वारा 55 लाख किताबों के कवर पेज की छपाई के लिए 7 करोड़ की लागत से 250 ग्राम के एमजी कवर पेज की खरीदी की गई है।

वेंडरों ने टीआरपी को दी जानकारी

पुस्तकों के कवर पेज की छपाई तो हो गई लेकिन वेंडरों को छपाई के दौरान कई परेशानी आई। पेपर क्वालिटी के खराब होने के कारण पेपर छपाई के दौरान ही मुड़ जा रहे हैं। वेंडरों ने नाम न छापने की शर्त पर टीआरपी को इसकी जानकारी दी। बता दें कि कवर पेज की छपाई का काम दो दर्जन वेंडरों को दिया गया था।

पेपर बंडल कें अंदर रिम लेबल पर से कंपनी का नाम गायब

पेपर छपाई के बाद पाठ्य पुस्तक निगम में जो बंडल दिए जा रहे हैं उसमें उपर तो प्रिंटर का नाम लिखा हैं। मगर बंडल के अंदर रिम लेबल में कहीं भी कंपनी का नाम मेंशन नहीं है। नियमानुसार बंडल के बाहर और अंदर कंपनी का नाम स्पष्ट तौर पर लिखा होना चाहिए।

क्या कह रहे हैं जिम्मेदार

करीब 55 लाख किताबों के लिए बगैर जांचे कवर पेज की खरीदी हो गई। आनन-फानन में कवर पेज भी छप गए। जिसके बाद पाठ्य पुस्तक निगम छत्तीसगढ़ के एमडी राजेश राणा का कहना है कि अगर किताबों के कवर पेज को लेकर कोई शिकायत है तो गुणवत्ता की जांच के लिए पेपर क्वालिटी कंट्रोल के पास भेजा गया है।

इस खरीदी से उठ रहे सवाल

  • क्या 7 करोड़ के पेपर की खरीदी करने से पूर्व कागज की गुणवत्ता जांची गई, अगर नहीं तो क्यों और हां तो ऐसे पेपर की खरीदी क्यों हो गई?
  • खास वेंडर को फायदा पहुंचाने क्या 900 मीट्रिक टन पेपर एक ही वेंडर से खरीदे गए? दरअसल पुस्तकों के कवर पेज और अंदर के पेज के पेपर पूर्व में अलग-अलग वेंडरों से जरिए खरीदे जाते थे। इस बार क्या किताबों के अंदर व बाहर के पेजस किसी खास वेंडर से खरीदे गए हैं?
  • क्या छपाई के बाद बंडलों की अच्छे से जांच की जा रही है? दरअसल टीआरपी ने कुछ समय पहले ही खुलासा किया था कि टेंडर किसी कंपनी को दिया जाता है और छपाई किसी और वेंडर के पास होता है।

टीआरपी ने पहले ही जता दी थी घोटाले की आशंका

बता दें कि पाठ्य पुस्तक निगम में इस तरह का घोटाला पहली बार नहीं है। इससे पहले भी किताबों के अंदर के पेजस के ब्राइटनेस के नाम पर भी बड़ा घोटाला हो चुका है। इसकी खरीदी में लगभग 40 फीसदी का अंतर आया है। इस मामले की जांच इओडब्लू कर रहा है। पेपर खरीदी के नाम पर पाठ्य पुस्तक निमग में घोटालों की लंबी फेहरिस्त है। जिसका खुलासा टीआरपी कर चुकी है। वहीं कवर पेज के लिए पेपर खरीदी को लेकर किस कंपनी को फायदा पहुंचाया जा रहा है इसकी भी जानकारी टीआरपी ने पहले ही दे दिया था।

पहले किताबों के कवर पेज और अंदर के पेज खरीदी अलग-अलग वेंडरों से की जाती थी। मगर इस दफे निगम के खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बगैर कागज जांचे आनन-फानन में 7 करोड़ के पेपर की खरीदी की गई।

टीआरपी खोल चुकी है पाठ्य पुस्तक निगम में भ्रष्टाचार की पोल

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