पहले अमानक धान दिया मिलिंग के लिए, जब चावल घटिया निकला तो राइस मिलरों पर थोप दी जिम्मेदारी... लाखों का चावल लौटाने का दिया आदेश
पहले अमानक धान दिया मिलिंग के लिए, जब चावल घटिया निकला तो राइस मिलरों पर थोप दी जिम्मेदारी... लाखों का चावल लौटाने का दिया आदेश

कोरबा। जिले में पिछले एक महीने से सरकारी उपभोक्ता भंडारों से घटिया चावल का आबंटन किये जाने की शिकायतें मिल रही थी। जब जांच की गई तो 6,255 क्विंटल अमानक चावल उपभोक्ता भंडारों और नान के गोदाम में पाया गया। अब खाद्य विभाग ने यह तय किया है कि जिन मिलर्स के यहां से इस तरह के चावल की आपूर्ति की गई है, वे सभी अच्छा चावल रिप्लेस करके देंगे।

कोरबा जिला प्रशासन द्वारा नान गोदाम में भण्डारित चावल की गुणवत्ता के परीक्षण के लिए जांच समिति गठित की गई थी। दरअसल जिले भर के अनेक सरकारी उपभोक्ता भंडारों में डिस्कलर एवं कनकी (ब्रोकन) चावल का आबंटन किये जाने की शिकायतों को देखते हुए यह जांच कार्रवाई की गई। समिति द्वारा वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के कोरबा एवं छुरी के गोदामों में उपलब्ध 59 स्टेकों से चावल का सैम्पल परीक्षण के लिए लिया गया। इस दौरान जांच में 54 स्टेक (ढेर) में मानक श्रेणी के चावल पाए गए।

5 स्टेक में मिले घटिया चावल

जांच के समय पांच स्टेक में 16 हजार 001 बोरी में उपलब्ध छह हजार 255 क्विंटल चावल में ब्रोकन एवं डिस्कलर की मात्रा निर्धारित मापदण्ड से अधिक पाई गई। परीक्षण के दौरान रिजेक्शन लिमिट वाले पांच स्टेक के चावल की आपूर्ति जिन राइस मिलर्स ने की थी अब उन्हें ये चावल रिप्लेस करवाने के निर्देश जारी किए गए हैं।

2 साल पुराने धान का है चावल

इस मामले को देखें तो पहली नजर में ऐसा लगता है कि राइस मिलरों ने खाद्य विभाग को घटिया चावल की आपूर्ति कर दी है, मगर इसके पीछे की कहानी कुछ और है। दरअसल बीते वर्ष याने सन 2021 में खाद्य विभाग ने कोरबा जिले के डेढ़ दर्जन से भी अधिक राइस मिलरों को बिलासपुर जिले के धान संग्रहण केंद्र में रखे लगभग पौने दो लाख क्विंटल धान की मिलिंग करने का आदेश जारी किया। शुरुआत में मिलरों ने आनाकानी की, क्योंकि धान दो साल पुराना यानि 2019 का था, और इतने पुराने धान की मिलिंग से चावल कोई अच्छी गुणवत्ता का नहीं निकलेगा। विभाग के दबाव के चलते मिलरों ने पुराना धान उठाया और उसकी मिलिंग के बाद जो चावल निकला उसे कोरबा जिले के छुरी और कोरबा के नान के गोदामों में जमा कर दिया।
यही चावल जब गोदाम से उपभोक्ता भंडारों में भेजा गया तब विवाद खड़ा हो गया। उपभोक्ताओं और इलाके के जनप्रतिनिधियों ने अमानक चावल लेने से मना कर दिया।

जब चावल अमानक था तो जमा क्यों किया..?

कोरबा जिले के कुछ मिलरों ने बताया कि जब उन्होंने बिलासपुर जिले के संग्रहण केंद्र से धान उठाया तब वह दो-दो बारिश झेल चुका था। कायदे से ऐसे चावल को DEAD STOCK घोषित कर देना था, मगर अधिकारियों के दबाव के चलते इसकी भी मिलिंग करा दी गई। राइस मिलर्स ने सवाल किया है कि जब चावल अमानक था तो उसे गोदाम में जमा क्यों किया गया ?

खपा नहीं पाए घटिया धान

दरअसल राइस मिलर्स को अमानक धान दिया गया तो स्वाभाविक है कि मिलिंग में चावल भी अमानक निकलेगा। इसलिए विभाग ने सीधे-सीधे यह चावल मिलर्स से ले लिया। अब विभाग के अधिकारियों की यह योजना थी कि धीरे-धीरे उपभोक्ता भंडारों में यह चावल थोड़ा-थोड़ा भेजकर खपा दिया जायेगा, मगर गोदाम के अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया और उपभोक्ता भंडारों को एक साथ एक ही लॉट से चावल भेज दिया गया, जिससे यह मामला उजागर हो गया।

खाद्य अधिकारी ने मिलर्स पर फोड़ा ठीकरा..!

TRP न्यूज़ ने इस संबंध में कोरबा के जिला खाद्य अधिकारी जे के सिंह से बात की, तब उन्होंने कहा कि राइस मिलरों को इस चावल के बदले मानक स्तर का चावल देना ही होगा। जे के सिंह ने यह भी माना कि मिलर्स को 2019 का धान दिया गया था, मगर उनका यह तर्क ये है कि जो धान यहां के मिलरों को दिया गया था, वही धान बिलासपुर के मिलर्स को भी दिया गया था, मगर वहां इस तरह की शिकायत क्यों नहीं आयी। ऐसे में कोरबा में ही इस तरह की शिकायत आने पर उन्होंने राइस मिलर्स पर संदेह व्यक्त किया है।

सूत्र बताते हैं कि राइस मिलर्स खाद्य विभाग के आदेश का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद वे भी इसका विरोध करने की रणनीति तैयार करेंगे, क्योंकि अगर उन्हें मानक स्तर का चावल लौटाना पड़ा तो उन्हें लाखों का नुकसान होगा।

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