यहां गन्ने की भी होती है तस्करी, शक्कर कारखाने के लिए आरक्षित गन्ना प्रतिबंध के बावजूद ट्रकों में भेजा जा रहा है बाहर, किसानों ने इस तरह सिखाया सबक...
यहां गन्ने की भी होती है तस्करी, शक्कर कारखाने के लिए आरक्षित गन्ना प्रतिबंध के बावजूद ट्रकों में भेजा जा रहा है बाहर, किसानों ने इस तरह सिखाया सबक...

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में अनेक शक्कर कारखाने संचालित हैं, और इन कारखानों में शक़्कर उत्पादन के लिए इलाके में उगने वाले गन्नों को आरक्षित घोषित किया जाता है, मगर अनेक किसान ऐसे हैं जो ज्यादा कमाने के फेर में अपना गन्ना बाहर बेच रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में सरगुजा जिले से गन्ना कलकत्ता ले जाते समय ट्रक को ग्रामीणों ने पकड़ लिया।

बड़े शहरों में हो रहा है गन्ने का अवैध परिवहन

सरगुजा संभाग का गन्ना शक्कर कारखाने के अलावा दूसरी जगह ले जाना प्रतिबंधित है, बावजूद इसके इन दिनों यहां से बड़े पैमाने पर गन्ना ट्रकों में भरकर रायपुर, कलकत्ता सहित दूसरे बड़े शहरों में अवैध तरीके से परिवहन करके ले जाया जा रहा है। इससे नाराज इलाके के किसानों ने गन्ना तस्करी कर जा रहे एक ट्रक को पकड़ लिया और इसकी सूचना सूरजपुर जिले के ग्राम केरता में संचालित शक्कर कारखाना प्रबंधन को दी। जिसके बाद मौके पर पहुंचे कारखाने के कर्मियों ने ट्रक को पुलिस के सुपुर्द कर दिया। गन्ना कारखाने क्षेत्रीय सहायक अजय पटेल ने बताया कि इस मामले में कार्रवाई का अधिकार पुलिस के पास है।

जूस के लिए मशहूर है सरगुजा का गन्ना

दरअसल सरगुजा संभाग के लुंड्रा इलाके में जो गन्ना किसानों द्वारा उगाया जाता है, उसका स्वाद अच्छा होता है और जूस का व्यवसाय करने वाले अधिकतर यहीं से गन्ना लेकर जाते हैं, मगर एक तरह से यह गन्ने की तस्करी है, यही वजह है कि गन्ना परिवहन कर रहा ट्रक सीधे थाने पहुंचा दिया गया। इलाके के किसानों ने बड़े पैमाने पर हो रही गन्ने की तस्करी को रोकने के लिए यह कदम उठाया।

सरकार ने बनाये हैं ये नियम

दरअसल छत्तीसगढ़ के जिन इलाकों में गन्ने की खेती बहुत ज्यादा होती है, वहां ही शक्कर के कारखाने खोले गए हैं। इसके लिए बाकायदा सहकारी समितियां बनाकर गन्ना उत्पादक किसानों को उसका सदस्य बनाया जाता है, साथ ही इस बात की भी बाध्यता होती है कि किसान संबंधित कारखाने में ही अपना गन्ना बेचेगा, बाहर नहीं। सरगुजा संभाग के सूरजपुर जिले के ग्राम केरता में मां महामाया शक्कर कारखाना संचालित है। इसी कारखाने के लिए पूरे संभाग में उत्पादन होने वाला गन्ना आरक्षित है।

गन्ना आयुक्त की ये है अधिसूचना

हर वर्ष की तरह इस बार भी संचालनालय, कृषि के गन्ना आयुक्त यशवंत कुमार ने अधिसूचना जारी करके शक्कर कारखाने के लिए सरगुजा संभाग के किसानों का गन्ना आरक्षित कर दिया है। इस अधिसूचना में छ ग गन्ना (प्रदाय एवं क्रय नियमन) अधिनियम 1958 की धारा 15 एवं 16 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए गन्ना पेराई वर्ष – 2021 – 22 के लिए क्रय केंद्र के अंतर्गत आने वाला गन्ना आरक्षित घोषित किया गया है। इनमे सरगुजा संभाग के अंतर्गत आने वाले जिले अंबिकापुर, बलरामपुर और सूरजपुर के वे गांव शामिल हैं, जहां गन्ने का उत्पादन होता है।

इसलिए बनाया गया है ये नियम

दरअसल शक्कर कारखाने में आसपास के इलाके में उगने वाला गन्ना उपयोग में आता है। इससे जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि अगर इलाके का गन्ना बाहर चला गया, तो आखिर कारखाना कैसे चलेगा। गन्ना उत्पादन के महीनों के हिसाब से ही शक्कर कारखाना अक्टूबर-नवम्बर से लेकर मई-जून तक चलता है। सूरजपुर जिले के इस शक्कर कारखाने के लिए हर रोज लगभग 25 टन गन्ने की जरुरत होती है। यह पूरा काम संगठित तरीके से चलता है, और किसानो के गन्ना लेकर कारखाने आने का दिन भी तय होता है।

खरीदी केंद्र बंद होने से किसानों को हो रहा है नुकसान

इलाके के किसानों का कहना है कि पूर्व में शक्कर कारखाने द्वारा रघुनाथपुर में गन्ना खरीदी केंद्र संचालित किया जा रहा था, मगर पिछले कुछ सालों से यह केंद्र बंद कर दिया गया है। दरअसल रघुनाथपुर से शक्कर कारखाना 40 किलोमीटर दूर पड़ता है, इसलिए वहां तक के परिवहन का अतिरिक्त खर्च किसान के ऊपर ही आता है। यही वजह है कि किसान नुकसान से बचने के लिए गन्ना कारखाने में ले जाने की बजाय दलालों को बेच देते है, यह जानते हुए भी कि ऐसा करना गलत है।

ज्यादा लाभ के फेर में किसान तोड़ते हैं नियम

शहरों में जूस के लिए गन्ने का व्यापर करने वाले दलाल किसानों को ज्यादा लाभ का लालच देकर गन्ना वजन की बजाय पीस के हिसाब से खरीद कर ले जाते है। मगर इस फेर में दलाल अच्छा गन्ना छांट लेते हैं और बाकी गन्ना छोड़ जाते हैं। ऐसे में किसान को फायदे की बजाय नुकसान ही होता है। गन्ने की इस तरह होने वाली तस्करी के पीछे कारखाने के कर्मियों की मिलीभगत के आरोप लगते हैं। किसान बताते हैं कि कारखाना प्रबंधन अगर नियम-कायदों का सही तरीके से पालन करवाए तो किसानो का गन्ना बाहर जाने की बजाय कारखाने में ही आएगा।

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