मुआवजा पाने के लिए रातों-रात मकान खड़ा कर रहे हैं "गरीब" ग्रामीण, राजस्व अमले के साथ ही नेताओं और भूमाफियाओं का लग रहा है पैसा..!
मुआवजा पाने के लिए रातों-रात मकान खड़ा कर रहे हैं "गरीब" ग्रामीण, राजस्व अमले के साथ ही नेताओं और भूमाफियाओं का लग रहा है पैसा..!

रायगढ़। जिले के इस इलाके में कोयला खदान प्रस्तावित है, और सरकार ने बाकायदा इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है, इसके बावजूद इस क्षेत्र में बड़े-बड़े भवन खड़े हो रहे हैं, ऐसा कैसे संभव हो सकता है? मगर रायगढ़ जिले में ऐसा कर दिखाया है तमनार विकासखंड के ग्रामीणों ने, जो बाद में भूविस्थापित कहे जायेंगे। यहां रातों-रात मकान बनाये जा रहे हैं और राजस्व विभाग और इलाके के राजनेता मौन हैं।

महाजेन्को को मिला है Coal Block

रायगढ़ जिले में घरघोड़ा तहसील के तमनार ब्लॉक में महाराष्ट्र सरकार की कंपनी महाजेन्को को कोयला खदान संचालित करने के लिए यहां की लगभग 25 सौ हेक्टेयर जमीन देने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है, यहाँ 2019 में खदान के लिए जन सुनवाई हो चुकी है और इस बीच जमीन अधिग्रहण की सूचना भी प्रकाशित कर दी गई है। इसी के तहत घरघोड़ा के SDM अशोक मार्बल ने उप पंजीयक को यहां के 14 गांवों की जमीन की खरीद-बिक्री और पंजीयन पर रोक लगाने संबंधी पत्र 26 फरवरी 2021 को जारी कर दिया है। नियम के मुताबिक शासन द्वारा धारा – 4 के तहत किसी भी जमीन के अधिग्रहण की सूचना प्रकाशित करने के बाद वहां किसी तरह के निर्माण कार्य पर भी रोक लगा दिया जाता है। मगर तमनार के अंतर्गत आने वाले इन गावों में धड़ल्ले से मकान बन रहे हैं।

कोरोना काल में बने अधिकांश मकान

तमनार क्षेत्र के जो 14 गांव अधिसूचित हैं, वहां लगभग 200 मकान ऐसे हैं, जिन्हें बने ज्यादा समय नहीं हुआ है। इनमे दुमंजिला और तिमंजिला मकान भी हैं। इसके अलावा छोटे मकान भी रातों-रात बनाये जा रहे हैं। इलाके के लोग बताते हैं कि कुछ ऐसे ठेकेदार भी हैं, जो ये बड़ा मकान खड़ा करके दे रहे हैं। इनमें से अधिकांश मकान पिछले साल कोरोना काल में तैयार किये गए हैं, और वो भी जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना के प्रकाशन के बाद। इलाके में मैदानी स्तर पर पटवारी, राजस्व निरीक्षक की तैनाती के बावजूद यहां धड़ल्ले से मकान बने और अब भी बनाये जा रहे हैं।

हादसे के चलते हुआ खुलासा

दरअसल पिछले हफ्ते 12 फ़रवरी की शाम रायगढ़ जिले के तमनार इलाके में ही दोमंजिला निर्माणाधीन मकान के धसकने से दो लोग नीचे दब गए। इनमे से मकान मालिक की मौके पर ही मौत हो गई। दरअसल हड़बड़ी में इस मकान की दूसरी मंजिल का निर्माण अल्प अवधि में तैयार किया जा रहा था। इस फेर में लेंटर ढह गया और एक की जान चली गई। इस घटना के बाद ग्रामीणों ने बताया कि इलाके में ऐसे अनेक मकान इसी तरह बहुत ही कम अवधि में तैयार किए जा रहे हैं।इलाके घूमने पर पता चला कि ऐसे 200 से ज्यादा मकान तैयार हो चुके हैं, जो दोमंजिला या उससे भी बड़े हैं।

रेलवे लाइन के लिए प्रस्तावित है जमीन

जानकारी मिली है कि तमनार तहसील में कोयले के परिवहन हेतु रेलवे लाइन के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया है, वहीं खदान या औद्यौगिक उपयोग के लिए यहां जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की जा चुकी है। यहां रेलवे द्वारा मार्किंग किए जाने के बाद जमीन मालिकों ने वन्य इलाके या बस्ती से बहार की जमीन पर धड़ाधड़ निर्माण शुरू कर दिया।

मुआवजे के लिए हो रहा है सारा खेल

इलाके में बनाये गए ये भवन रहने के लिए या फिर व्यवसाय करने के लिए नहीं बल्कि मुआवजा पाने के लिए किये जारहे हैं। कहा है कि जमीन अधिग्रहण के बाद खली जमीन पर मिलने वाला मुआवजा मकान या वृक्षारोपण होने पर कई गुना बढाकर दिया जाता है। यही वजह है कि लोग धड़ाधड़ मकान खड़े करने में लगे हैं।

सक्षम नहीं, फिर भी बना रहे लाखों के मकान

तमनार के इलाके में जिनके पास जमीन है या जमीन भी नहीं है वह भी दो मंजिला मकान का निर्माण करा रहे हैं। इनमें ऐसे भी लोग हैं जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे हैं और राज्य सरकार से गरीबी रेखा का राशन भी उठाते हैं, वह भी दो मंजिला मकान का निर्माण करा रहे हैं या फिर करा चुके हैं। ऐसा कैसे संभव हो सका? इस सवाल पर ग्रामीण दबी जुबान बताते हैं की इलाके ही नहीं बल्कि जिला मुख्यालय के प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता और भू माफियाओं द्वारा अपने पैसे लगाकर इन मकानों का निर्माण कराया जा रहा है। जिन ठेकेदारों द्वारा ये कार्य किये जा रहे हैं, उन्हें भुगतान जमीन मालिक द्वारा नहीं बल्कि दलालों के माध्यम से किया जा रहा है।

जमीन का मुआवजा तुम्हारा, मकान का हमारा..!

तमनार क्षेत्र के इन गांवों जिन लोगों द्वारा अपनी रकम लगाई जा रही है वे ग्रामीणों से “जमीन का मुआवजा तुम्हारा और मकान का मुआवजा हमारा” की तर्ज पर निर्माण में अपना पैसा लगा रहे हैं। क्योंकि इन्हे इन्हें पता है कि जमीन पर अगर भवन बना हुआ है, तो मुआवजा कई गुना बढ़ जाता है। जब भी मुआवजा मिलेगा वे जमीन में इन्वेस्ट की गई रकम का कई गुना ज्यादा अपनी जेब में भर सकेंगे।

जांच में हो सकता है खुलासा

बताया जा रहा है कि ग्रामीणों की कृषि भूमि पर निर्माण कार्य के लिए दलालों ने अधिग्रहण की सूचना के बाद भी राजस्व अमले की मिलीभगत से ग्रामीणों की जमीन का डायवर्सन भी कराया। अगर जांच की जाये तो इसका खुलासा हो जायेगा कि अधिग्रहण के साथ ही जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने के बावजूद आखिर निर्माण कार्य कैसे हुआ। वहीं BPL की श्रेणी में आने वाले निर्धन परिवारों द्वारा आखिर कैसे लाखों का निर्माण कार्य करा लिया गया। इसकी आयकर विभाग या संबंधित जांच दाल द्वारा पूछताछ तहकीकात की जा सकती है।

कलेक्टर ने निर्माण कार्यों को लेकर कही ये बात

इस मामले को लेकर हमने रायगढ़ जिलाधीश भीम सिंह से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि महाजेंको को प्रस्तावित खदान के लिए अधिग्रहण का आदेश हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले को दिखवाएंगे। अगर गड़बड़ी हुई है तो इसमें कार्रवाई जरूर होगी।

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