CMHO OFFICE RPR

रायपुर। पिछले दिनों राज्य से बाहर के एक तथाकथित डॉक्टर द्वारा बिना ऑपरेशन के घुटनों का इलाज करने संबंधी शिविर पर कार्रवाई करने के बाद CMHO ने समस्त निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में ऐसे शिविरों को बिना अनुमति आयोजित करने पर कार्रवाई करने की बात कही गई है। उधर आयुर्वेद मंडल ने भी शर्तिया इलाज का दावा करने वाले एक डॉक्टर को नोटिस जारी किया है।

रायपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. मिथिलेश चौधरी ने समस्त निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, मैटरनिटी होम, क्लिनिक, डायग्नोस्टिक सेन्टर, पैथालाजी लैब संचालकों को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि “उनके संज्ञान में आया है कि अधिकांशतः अस्पतालों एवं संस्थानों में बिना अनुमति चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, एवं छग से बाहर अन्य राज्यों के चिकित्सकों के द्वारा शिविर में सेवायें ली जा रही हैं, जो कि छ.ग. राज्य उपचार्यागृह तथा रोगापचार संबंधित स्थापनाये अनुज्ञापन अधिनियम 2010 व नियम 2013 का उल्लंघन है।”

CMHO ने समस्त संचालकों को निर्देशित किया है कि “संस्था में आयोजित होने वाले शिविर हेतु अनुमति अधोहस्तक्षर्ता कार्यालय से लिया जाना सुनिश्चित करें।

बाहर के डॉक्टरों का राज्य में पंजीयन अनिवार्य

छत्तीसगढ़ में प्रैक्टिस करने राज्य के बाहर से आये चिकित्सकों का छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद, छ.ग. आयुष परिषद, छग डेन्टल काउंसिल, फिजियोथेरेपी काउंसिल छ.ग. में पंजीयन होना अनिवार्य है। CMHO द्वारा इस संबंध में ताकीद करते हुए चेतावनी भी दी गई है कि नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाये जाने पर संबंधित सस्था के विरूद्ध विधिवत् कार्यवाही हेतु कलेक्टर से अनुशंसा की जावेगी जिसकी समस्त जवाबदेही खुद संचालक की होगी।

“PAIN CONSULTANT” को जारी किया गया नोटिस

आपने अब तक चिकित्सा के क्षेत्र में कई विशेषज्ञों के बारे में पढ़ा होगा मगर कभी “PAIN CONSULTANT” के बारे में आपको शायद ही कोई जानकारी होगी। जी हां, खुद को “PAIN CONSULTANT” बताते हुए BAMS पैथी के चार चिकित्सकों ने एक अखबार में बड़ा विज्ञापन लगाकर जोड़ों, नसों और मांसपेशियों के दर्द से निजात दिलाने की 100% गारंटी दी है। DR. ABHIMANYU’S पैन रिलीफ सेंटर नाम के इस विज्ञापन में मलद्वार से संबंधित समस्याओं के लिए भी ऑनलाइन संपर्क करके दवाएं मंगाने की सलाह भी दी गई है। इस सेंटर के संचालक डॉ. अभिमन्यु साहू हैं तथा बंगलौर, बेल्लारी और सोनीपत के अलावा समता कॉलोनी, रायपुर में भी इसका एक केंद्र है, जहां के पते पर छग आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा पद्धति एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड के रजिस्ट्रार संजय शुक्ला ने नोटिस भेजा है।

दर्द से छुटकारा दिलाने की गारंटी पर आपत्ति

चिकित्सा बोर्ड के रजिस्ट्रार द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि “आपके द्वारा संदर्भित संलग्न विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया है। उक्त विज्ञापन में आपके द्वारा विभिन्न शारीरिक व्याधियों के फलस्वरूप होने वाले दर्द को बिना शल्य क्रिया अथवा दर्दनाशक दवाओं के शत प्रतिशत निवारण (छुटकारा दिलाने) का दावा किया गया है। अवगत होवें कि ऐसे विज्ञापनों से जनसामान्य के दिग्भ्रमित होने की आशंका है, जो चिकित्सा वृत्तिक आचरण नियमों के विपरीत है।”

डॉ. अभिमन्यु द्वारा प्रकाशित विज्ञापन

कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन

रजिस्ट्रार ने लिखा है कि “प्रकाशित विज्ञापन में उल्लेखित दावों के परिप्रेक्ष्य में आपका आचरण भारतीय चिकित्सा के व्यवसायी (वृत्तिक आचरण और शिष्टाचार स्तर तथा आचार संहिता) विनियम 1982 एवं छत्तीसगढ़ आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी अधिनियम, 1970 (अनुकूलन आदेश 2001) तथा औषधि और चमत्कारिक उपचार अधिनियम, 1954 (आक्षेपणीय विज्ञापन) के सर्वथा प्रतिकूल है।

छग में पंजीयन की मांगी जानकारी

DR. ABHIMANYU’S पैन रिलीफ सेंटर के संचालक को नोटिस भेजकर संबंधित शैक्षणिक अर्हता, प्रशिक्षण से संबंधित दस्तावेज एवं छत्तीसगढ़ बोर्ड द्वारा जारी स्थायी पंजीयन प्रमाण पत्र की छायाप्रति तथा क्लिनिक संचालन हेतु आवश्यक नर्सिंग होम एक्ट के तहत जारी अनुज्ञा पत्र के साथ तथ्यात्मक स्पष्टीकरण 07 दिवस के भीतर प्रस्तुत करने को कहा गया है। समय-सीमा के भीतर समाधानकारक स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होने की दशा में बोर्ड एकपक्षीय कार्यवाही हेतु स्वतंत्र होगा।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में राजधानी सहित अनेक बड़े शहरों में बाहर के तथाकथित डॉक्टरों और नीम-हकीमों द्वारा स्वयं को विशेषज्ञ बताते हुए शिविरों और क्लिनिक का संचालन किया जाता है, जबकि छत्तीसगढ़ में बिना पजीयन के उनके द्वारा प्रैक्टिस करना प्रतिबंधित है। वहीं चिकित्सा के व्यवसाय में किसी भी बीमारी के सम्पूर्ण इलाज की गारंटी देना भी कानूनन गलत है। जिस तरह की कार्रवाई CMHO रायपुर द्वारा की गई है और छग आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा पद्धति एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड द्वारा ऐसे मामले को संज्ञान में लिया गया है, उसी तरह प्रदेश भर में जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को कार्रवाई करने के लिए दिशा-निर्देश दिया जाना चाहिए, ताकि लोग इलाज के नाम पर ठगी का शिकार न हों।

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