CG. State Text Book Corporation SCAM: ठोस काम नहीं, CSR मद का 50 करोड़ 3 लाइन की कॉपी छापने में खर्च !
CG. State Text Book Corporation SCAM: ठोस काम नहीं, CSR मद का 50 करोड़ 3 लाइन की कॉपी छापने में खर्च !

रायपुर। पाठ्यपुस्तक निगम छत्तीसगढ़ घोटालों की खान है। टीआरपी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए समय समय पर इन भ्रष्टाचारों को उजागर करता आया है। इसबार भी पाठ्यपुस्तक निगम में करीब 130 करोड़ का ई टेंडर घोटाला सामने आया है। आरटीआई से मिले दस्तावेजों से इस बढ़े घोटाले का खुलासा हुआ है।

आपको बता दें कि हर वर्ष की भांति इस साल भी 2023-24 के लिए विभाग ने स्कूली बच्चों के पुस्तकों की छपाई के लिए करीब 10,000 टन कागजों खरीदी की निविदा निकाली थी। बता दें कि हर वर्ष 130 करोड़ की खरीदी की जाती है। छपाई के बाद इन कितबों का वितरण हर साल विभाग स्कूली बच्चों को करता है।

इन कंपनियों ने भरा था टेंडर

  • शाह पेपर मिल्स लिमिटेड, गुजरात
  • सेथिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, पंजाब
  • चढ्ढा पेपर्स लिमिटेड, उत्तर प्रदेश
  • श्रेयांस इंडस्ट्रीज, दिल्ली

जिनमें कि गुजरात की मे. शाह पेपर मिल्स लिमिटेड, वापी, गुजरात द्वारा टेंडर के लिए लोवर रेट मिला। बता दें कि इस कंपनी ने 1,18,800 अतिरिक्त जीएसटी का रेट भरा था। सरकार ने एक लाख 13 हजार अतिरक्त जीएसटी के साथ यह टेंडर 3000 मिट्रीक टन 70 जीएसएम पेपर खरीदने के लिए गुजरात की कंपनी को दे दिया। एल1 के आधार पर बाकी 3 कंपनियों से निगोशिएशन कर लिया गया।

अब इसे इत्तेफाक कहें या युनियोजित घोटाला देश के अलग अलग राज्यों की कंपनियों ने एक ही दिन 19 सितंबर 2022 को एक घंटे के अंतराल में ही टेंडर भर दिया। इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि चार अलग अलग कंपनियों ने टेंडर का फाइनल सब्मिशन एक ही सिस्टम या लैपटॉप से किया जिसका सिस्टम इंफॉर्मेशन क्रमांक- WIN-0617OQKNPH7 है। टीआरपी ने आईटी विशेषज्ञों से इसकी जानकारी लेकर यह पुख्ता की है।

आपको चौका देंगे ये इत्तेफाक

  • 19 सितंबर 2022 को ही चार अलग-अलग राज्यों की कंपनियों ने भरा टेंडर
  • एक ही दिन एक घंटे के अंतराल में भरा गया
  • सबसे चौकाने वाली बात की सभी कंपनियें ने एक ही कंप्यूटर या लैपटॉप से टेंडर भरा, जिसका इंफॉर्मेशन क्रमांक- WIN-0617OQKNPH7 है।

देखें पूरे दस्तावेज

शाह पेपर मिल्स लिमिटेड, गुजरात

सेथिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, पंजाब

चढ्ढा पेपर्स लिमिटेड, उत्तर प्रदेश

श्रेयांस इंडस्ट्रीज, दिल्ली

आरटीआई एक्ट 2005 के नियमानुसार दस्तावेजों की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई जाती है। मगर टीआरपी ने काफी मशक्कत के बाद यह दस्तावेज प्राप्त किए हैं।

विभाग प्रमुख एवं कंपनियों की मिली भगत!

आपको बता दें टेंडर फाइनल करने के कई नियम होते हैं। जिसमें पहले टेंडरों की स्क्रूटनी की जाती है। कंपनी की भूमिका भी जांची जाती है। कई स्तरों पर दस्तावेजों की जांच के बाद ही किसी कंपनी को एक टेंडर दिया जाता है। ऐसे में पाठ्य पुस्तक निगम की यह कारस्तानी समझ से परे हैं। क्या विभाग ने कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की जांच नहीं की या उपरी स्तर पर कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए 130 करोड़ का यह टेंडर चार कंपनियों को दे दिया गया।

टीआरपी ने इस संबंध में विभाग के एमडी रितेश अग्रवाल से उनका पक्ष जानने की कोशिश की। फोन से कई बार संपर्क किया मगर उनसे इस संबंध में बात नहीं हो सकी। ज्ञात हो कि इससे पहले भी 78 रु का कागज 113 रुपए में खरीदा जा चुका है। इसकी शिकायत भी ईओडब्लू में की जा चुकी है।

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