यपुर। छत्तीसगढ़ में एक्सपायरी डेट की दवाओं में नया लेबल चिपकाकर सरकार और किसानों को करोड़ों का चूना लगाने वाली सत्यम बायोटेक को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। कंपनी और उसके राज्य में एक्टिव डीलरों ने अपने रसूख और पहुंच के दम पर करीब 8-10 करोड़ के बड़े गड़बड़झाला को अंजाम दिया। हैरत की बात यह थी कि यह गोरखधंधा छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की नाक के नीचे धड़ल्ले से फल-फूल रहा था। इस मामले को टीआरपी ने BIG EXPOSE – एक्सपायरी डेट की दवाओं में नया लेबल चिपकाकर “सत्या कंपनी ” ने किया करोड़ों का झोल, सरकार और किसानों को चूना लगाने बनाया मास्टर प्लान के शीर्षक से प्रकाशित किया था।

जिसके बाद बीज निगम विभाग में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में कंपनी के सैंपल की जांच की गई। इस मामले पर विधानसभा में बहस हुई थी। कंपनी से पैकेजिंग में गड़बड़ी को लेकर बीज निगम विभाग द्वारा जवाब-तलब किया गया। जिसमें कंपनी ने स्वीकार किया कि उसने दवाओं पर नया लेबल चिपकाकर दवाओं की सप्लाई की थी।
TRP EXCLUSIVE : BIG EXPOSE – एक्सपायरी डेट की दवाओं में नया लेबल चिपकाकर “सत्या कंपनी ” ने किया करोड़ों का झोल, सरकार और किसानों को चूना लगाने बनाया मास्टर प्लान
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NFSM (RICE) प्रदर्शन हेतु जिला प्रबंधक बीज निगम को Azadirachitan 0.15% EC, Imidachlorprid a.i. 17.8% SL एवं Hexaconazole 5%EC का क्रमशः2700 नग, 900 नग, 900 नग मात्रा में सप्लाई हेतु आदेश दिया गया था। इस आदेश के परिप्रेक्ष्य में बीज निगम द्वारा 31/07/2020 को सत्या कंपनी से imida, नीम, क्राम एवं हेक्सा (Tempered) ब्रांड नाम के दवा की आपूर्ति विकासखंड मुख्यालय में की गयी।

उर्वरक निरीक्षक अखिलेश दुबे ,वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी सिमगा ने भाटापारा कार्यालय में आपूर्ति की गयी की सामग्री का नमूना लेने के दौरान पाया कि दवाओं की पैकिंग में उत्पादन तिथि, अवसान तिथि बैच नंबर को विलोपन कर नई तिथियां प्रिंट की गयी है, जो कि कीटनाशक अधिनियम 1968 सेक्शन 3 K(i), 18 (C),19 (vii),19(4) (7) एवं 20 का उल्लंघन है।
टीआरपी की खबर के बाद इस मामले को संज्ञान में लिया गया। कृषिमंत्री रविंद्र चौबे ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिसके बाद ही कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया।
अविरल बायोटेक पर कार्रवाई कब?
इसी तरह दुर्ग जिले में अविरल बायोटेक को लाइसेंस की वैधता खत्म होने के बाद भी जिंक सल्फेट की सप्लाई के लिए 5 करोड़ का काम सौंप दिया गया है। इसके लिए बाकायदा वर्कआर्डर भी जारी कर दिया गया है, जबकि नियमतः अविरल बायोटेक के लाइसेंस की वैधता समाप्त हो चुकी है और जानकारी के मुताबिक वर्तमान में भी कंपनी का लाइसेंस रिनीवल नहीं है। इसके बाद भी बीज विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नही की जा सकी है।
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अफसरों का नया कारनामा- जिंक सल्फेट की सप्लाई में 5 करोड़ का खेल, लाइसेंस की वैधता जांचे बिना अविरल बायोटेक को दे दिया वर्क आर्डर
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